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by Sadhvi Hemswaroopa
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by Sadhvi Hemswaroopa

eBook

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Overview

संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'योग अथवा मेल' । दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो परिवर्तन होता है उसे संधि कहते हैं । कई बार इस नये शब्द को अलग ही लिखा जाता है बिना जोड़े, किंतु वर्तनी में कुछ परिवर्तन जरूर हो जाता है ।


याद रहे की संस्कृत-हिंदी में जो बोला जाता है वही लिखा जाता है, स्वाभाविक सरलता से बोलने को ही संधि कहते हैं ।


1.4.109 परः सन्निकर्षः संहिता । अष्टाध्यायी में वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता या संधि कहा गया है । संधि = उपसर्ग सम् + धा धातु ।

विशेष रूप से इसका मतलब है दो निकटवर्ती वर्ण

  • जो एक ही शब्द के भीतर हों, या
  • पहले शब्द का अन्तिम अक्षर तथा दूसरे शब्द का आदि अक्षर


उदाहरण (उदा०)

संहिता = सम् + हिता । संधि के कारण मकार का अनुस्वार में परिवर्तन हुआ है शब्द के भीतर ।

नमः ते = नमस्ते । संधि के कारण विसर्ग का सकार में परिवर्तन हुआ है तथा इन दो शब्दों को जोड़ कर नया शब्द बना है ।

शव आसन = शवासन । योग में हम निश्चिंत लेटने को शवासन के नाम से जानते हैं, यह दो शब्दों की संधि है ।


इस पुस्तक में हर प्रकार की संस्कृत की संधियों को सरल हिंदी भाषा में दर्शाया गया है ।

1. अच् सन्धि या स्वरसंधि

2. हल् सन्धि या व्यंजनसंधि

3. विसर्ग सन्धि

4. अनुस्वार सन्धि

5. विशिष्ट सन्धि


हर संधि का पाणिनि की अष्टाध्यायी से सुत्र दिया है । माहेश्वर सूत्र से प्रत्याहारों का विवरण, संधि को समझने की मूल बातें, संधि लगाने का गणितीय क्रमश, इन बातों से विद्यार्थियों के लीये अति प्रेरक व सुलभ पुस्तक तैयार की है ।


Product Details

ISBN-13: 9789392201219
Publisher: Ashwini Kumar Aggarwal
Publication date: 01/23/2022
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
Pages: 130
File size: 613 KB
Language: Hindi

About the Author

Hemswaroopa based in Gujarat is established in the gurukul tradition of Adi Shankaracharya. She practices a Sattvic lifestyle of Meditation & Satsang and teaches Vedantic Scriptures.

Table of Contents

संधि को समझने की मूल बातें3

01 सवर्ण दीर्घ संधि = अक् + सवर्ण अक् 14

02 गुण संधि = अवर्ण+इक् 16

03 वृद्धि संधि = अवर्ण+एच् 18

04 यण् संधि = इक् + भिन्न स्वर 20

05 अयाव् संधि = एच् + अच्21

06 पूर्वरूप संधि 22

07 अयाव् संधि का विस्तार 23

08 पररूप संधि 24

09 आट् आगम की वृद्धि प्रतिस्थापन25

10 इयङ् उवङ् आदेश 26

11 णत्वम् संधि न् ➙ ण्27

12 श्चुत्वम् संधि 29

13 श्चुत्वम् का अपवाद 31

14 ष्टुत्वम् संधि32

15 ष्टुत्वम् का अपवाद 33

16 जश्त्वम् संधि 34

17 जश्त्वम् संधि का अगला प्रकार 36

18 चर्त्वम् संधि 38

19 चर्त्वम् जश्त्वम् वैकल्पिक 39

20 कुत्वम् संधि 40

21 छत्वम् संधि 40

22 षत्वम् संधि 42

23 षत्वम् संधि विस्तार 43

24 च् का मध्य में बैठना संधि 44

25 रुत्व संधि 45

26 सुँ लोप संधि49

27 ध् अक्षर का द्वित्व संधि50

28 यर् अक्षर का द्वित्व संधि 51

29 पूर्व यम् अक्षर लोप संधि 52

30 पदान्त संयुक्त लोप संधि 52

31 सवर्ण झर् लोप संधि 53

32 अनुनासिकत्वम् संधि 54

33 लत्व संधि तोर्लि 55

34 विस्तार सवर्ण झय् + ह् 56

35 पदान्त झय् + श् + अट् 57

36 विशिष्ट संधि58

37 से 49 विसर्ग संधि नियम62

50 अनुस्वार संधि 73

51 अनुस्वार संधि अपवाद 73

52 अपदान्त अनुस्वार संधि74

53 परसवर्ण अनुस्वारः संधि 75

54 अनुस्वार संधि विस्तार77

55 आनुनासिका म् संधि - चन्द्रबिंदु78

56 आनुनासिका न् संधि78

57 ङमुट् संधि = ङ् , ण् , न् का द्वित्व81

58 आदेश संधि, षकार-आदि धातु 82

59 प्रकृतिभाव स्थिति 83

VEDIC SANDHI = स्वरों का शुद्ध उच्चारण84

वेदिक स्वर = अनुदात्त उदात्त स्वरित ध्वनि85

संधि संबंधित अष्टाध्यायी सूत्रपाठ97

माहेश्वर सूत्र102

वर्णमाला 108

मुख तथा जिह्वा स्थिति 113

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