बातें अपने आप से
""यह पुस्तक कविताओं का संकलन है जो पिछले कुछ सप्ताहों में लिखी गई, कुछेक पुरानी अप्रकाशित कृतियां भी हैं जो मेरे परिवार व मित्रगण ने सराही थी। मैं इन्हें थोड़ी कविता, थोड़ी कथा कहूं तो सच्चाई के अधिक करीब होगा। इनमें अधिकतर कविताएं ऐसी हैं जो किसी भाव या विचार विशेष के मन में आने पर रूप लेने लगती हैं। फ़िर जो शब्द मन में आएं, लिख लेता हूं, संवारने की कोशिश करता हूं। कोशिश तो की है कि आप तक थोड़े संवरे रूप में ही पहुंचें।""
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""यह पुस्तक कविताओं का संकलन है जो पिछले कुछ सप्ताहों में लिखी गई, कुछेक पुरानी अप्रकाशित कृतियां भी हैं जो मेरे परिवार व मित्रगण ने सराही थी। मैं इन्हें थोड़ी कविता, थोड़ी कथा कहूं तो सच्चाई के अधिक करीब होगा। इनमें अधिकतर कविताएं ऐसी हैं जो किसी भाव या विचार विशेष के मन में आने पर रूप लेने लगती हैं। फ़िर जो शब्द मन में आएं, लिख लेता हूं, संवारने की कोशिश करता हूं। कोशिश तो की है कि आप तक थोड़े संवरे रूप में ही पहुंचें।""
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by जगदीश चं राजा
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Overview

""यह पुस्तक कविताओं का संकलन है जो पिछले कुछ सप्ताहों में लिखी गई, कुछेक पुरानी अप्रकाशित कृतियां भी हैं जो मेरे परिवार व मित्रगण ने सराही थी। मैं इन्हें थोड़ी कविता, थोड़ी कथा कहूं तो सच्चाई के अधिक करीब होगा। इनमें अधिकतर कविताएं ऐसी हैं जो किसी भाव या विचार विशेष के मन में आने पर रूप लेने लगती हैं। फ़िर जो शब्द मन में आएं, लिख लेता हूं, संवारने की कोशिश करता हूं। कोशिश तो की है कि आप तक थोड़े संवरे रूप में ही पहुंचें।""

Product Details

ISBN-13: 9789367399460
Publisher: Bookleaf Publishing
Publication date: 02/06/2025
Pages: 70
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.15(d)
Language: Hindi

About the Author

""लेखक एक रासायनिक अभियंता है, जिसने पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से 1973 में पेट्रोलियम विशेषज्ञता के साथ डिग्री प्राप्त की। 50 वर्ष से अधिक समय तक, निजी, सार्वजनिक व बहुराष्ट्रीय समूहों की औद्योगिक इकाइयों में, तकनीकी, मार्केटिंग व प्रबंधीय कार्य भार संभालते हुए, अनेक राज्यों, देशों व विभिन्न सामाजिक स्तर के लोगों के साथ काम करने, और उन्हें जानने समझने का अवसर मिला। बहुरंगी कार्य दलों, कार्य नेताओं, व निजी जीवन से, मानव मात्र के बारे में मिली अंतर्दृष्टि बेमोल रही, सबसे बड़ी सीख भी। लेखन की शुरुआत मानव संबंधों व मन के रंगों के खेल देख कर हुई। अबतक अंग्रेजी में एक पुस्तक (जो अभी छपने के लिए नहीं दी है) और करीब २०० कविताएं हिंदी में लिखी हैं।""
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