(from the book)
प्रभु की माया, शीतल छाया
यदि याद रहे, यह खेल नया
यदि उलझ गए, यदि भूल गए
होगा जन्म-जन्म फिर पछतावा
जब उभरे मन में कोई लालच
लाभ-हानि उठते ऊपर
जब स्वार्थ पकड़ता है कसकर
क्या याद रहेगा, यह खेल एक
ठोकर भी कभी तुम खाओगे
खुशियाँ कभी मनाओगे
मान, प्रतिष्ठा, दौलत भी
कितनी ही बार तुम पाओगे
दुख-सुख के दौर भी आयेंगे
चिंतायें कभी सतायेंगी
चढ़ते सूरज में भटकोगे
क्या याद ये तुम रख पाओगे
यह खेल नया, यह खेल नया
प्रभु की माया, शीतल छाया
(from the book)
प्रभु की माया, शीतल छाया
यदि याद रहे, यह खेल नया
यदि उलझ गए, यदि भूल गए
होगा जन्म-जन्म फिर पछतावा
जब उभरे मन में कोई लालच
लाभ-हानि उठते ऊपर
जब स्वार्थ पकड़ता है कसकर
क्या याद रहेगा, यह खेल एक
ठोकर भी कभी तुम खाओगे
खुशियाँ कभी मनाओगे
मान, प्रतिष्ठा, दौलत भी
कितनी ही बार तुम पाओगे
दुख-सुख के दौर भी आयेंगे
चिंतायें कभी सतायेंगी
चढ़ते सूरज में भटकोगे
क्या याद ये तुम रख पाओगे
यह खेल नया, यह खेल नया
प्रभु की माया, शीतल छाया
Product Details
ISBN-13: | 9781962178068 |
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Publisher: | Mangal Publications |
Publication date: | 07/24/2025 |
Pages: | 138 |
Product dimensions: | 6.00(w) x 9.00(h) x 0.30(d) |
Language: | Hindi |