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जीने की राह पुस्तक घर-घर में रखने योग्य है। इसके पढ़ने तथा अमल करने से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे। पापों से बचोगे, घर की कलह समाप्त हो जाएगी। बहू-बेटे अपने माता-पिता की विशेष सेवा किया करेंगे। घर में परमात्मा का निवास होगा। भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी बुरी आत्माएँ उस परिवार के आसपास नहीं आएँगी। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं। अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा।
इस पुस्तक को पढ़ने से उजड़े परिवार बस जाएँगे। जिस परिवार में यह पुस्तक रहेगी, इसको पढ़ेंगे। जिस कारण से नशा अपने आप छूट जाएगा क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति ऐसी घृणा हो जाएगी कि इनका नाम लेने से रूह काँप जाया करेगी। पूरा परिवार सुख का जीवन जीएगा। जीवन का सफर आसानी से तय होगा क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
इस पुस्तक में, पूर्ण परमात्मा कौन है? उसका नाम क्या है? उसकी भक्ति कैसी है? सब जानकारी मिलेगी। मानव जीवन सफल हो जाएगा। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहेगी। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहेगी। जीने की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान हो जाएगी। जो इस पुस्तक को घर में नहीं रखेगा, वह जीवन की राह उत्तम न मिलने से संसार रूपी वन में भटककर अनमोल जीवन नष्ट करेगा। परमात्मा के घर में जाकर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा। उस समय आपको पता चलेगा कि जीने की राह उत्तम न मिलने से जिंदगी बर्बाद हो गई। फिर आप परमात्मा से विनय करेंगे कि हे प्रभु! एक मानव जीवन और बख्श दो। मैं सच्चे मन से सत्य भक्ति करूँगा। जीवन की सच्ची राह की खोज करने सत्संग में जाया करूँगा। आजीवन भक्ति करूँगा। अपना कल्याण करवाऊँगा।
उस परमात्मा के दरबार (कार्यालय) में आपके पूर्व के जन्मों की फिल्म चलाई जाएगी जिनमें आप प्रत्येक बार जब-जब मानव जीवन प्राप्त हुआ था, आपने यही कहा था कि एक मानव जीवन और दे दो, कभी बुराई नहीं करूँगा । आजीवन भक्ति भी करूँगा। घर का कार्य निर्वाह के लिए भी करूँगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर कल्याण करवाऊँगा। जो गलती अबके मानव जीवन में हुई है, कभी नहीं दोहराऊँगा / दोहराऊँगी।
फिर परमात्मा जी कहते हैं कि अपने आपको तो मूर्ख बनाकर जीवन नष्ट करके आ खड़ा हुआ पापों की गाड़ी भरकर, मुझे भी मूर्ख बनाना चाहता है। चल नरक में। फिर चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में चक्कर लगा। जब कभी मानव (स्त्री-पुरूष) शरीर मिले, सावधान होकर संतों का सत्संग सुनना और अपना कल्याण अवश्य करवाना।
 

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जीने की राह पुस्तक घर-घर में रखने योग्य है। इसके पढ़ने तथा अमल करने से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे। पापों से बचोगे, घर की कलह समाप्त हो जाएगी। बहू-बेटे अपने माता-पिता की विशेष सेवा किया करेंगे। घर में परमात्मा का निवास होगा। भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी बुरी आत्माएँ उस परिवार के आसपास नहीं आएँगी। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं। अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा।
इस पुस्तक को पढ़ने से उजड़े परिवार बस जाएँगे। जिस परिवार में यह पुस्तक रहेगी, इसको पढ़ेंगे। जिस कारण से नशा अपने आप छूट जाएगा क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति ऐसी घृणा हो जाएगी कि इनका नाम लेने से रूह काँप जाया करेगी। पूरा परिवार सुख का जीवन जीएगा। जीवन का सफर आसानी से तय होगा क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
इस पुस्तक में, पूर्ण परमात्मा कौन है? उसका नाम क्या है? उसकी भक्ति कैसी है? सब जानकारी मिलेगी। मानव जीवन सफल हो जाएगा। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहेगी। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहेगी। जीने की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान हो जाएगी। जो इस पुस्तक को घर में नहीं रखेगा, वह जीवन की राह उत्तम न मिलने से संसार रूपी वन में भटककर अनमोल जीवन नष्ट करेगा। परमात्मा के घर में जाकर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा। उस समय आपको पता चलेगा कि जीने की राह उत्तम न मिलने से जिंदगी बर्बाद हो गई। फिर आप परमात्मा से विनय करेंगे कि हे प्रभु! एक मानव जीवन और बख्श दो। मैं सच्चे मन से सत्य भक्ति करूँगा। जीवन की सच्ची राह की खोज करने सत्संग में जाया करूँगा। आजीवन भक्ति करूँगा। अपना कल्याण करवाऊँगा।
उस परमात्मा के दरबार (कार्यालय) में आपके पूर्व के जन्मों की फिल्म चलाई जाएगी जिनमें आप प्रत्येक बार जब-जब मानव जीवन प्राप्त हुआ था, आपने यही कहा था कि एक मानव जीवन और दे दो, कभी बुराई नहीं करूँगा । आजीवन भक्ति भी करूँगा। घर का कार्य निर्वाह के लिए भी करूँगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर कल्याण करवाऊँगा। जो गलती अबके मानव जीवन में हुई है, कभी नहीं दोहराऊँगा / दोहराऊँगी।
फिर परमात्मा जी कहते हैं कि अपने आपको तो मूर्ख बनाकर जीवन नष्ट करके आ खड़ा हुआ पापों की गाड़ी भरकर, मुझे भी मूर्ख बनाना चाहता है। चल नरक में। फिर चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में चक्कर लगा। जब कभी मानव (स्त्री-पुरूष) शरीर मिले, सावधान होकर संतों का सत्संग सुनना और अपना कल्याण अवश्य करवाना।
 

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जीने की राह पुस्तक घर-घर में रखने योग्य है। इसके पढ़ने तथा अमल करने से लोक तथा परलोक दोनों में सुखी रहोगे। पापों से बचोगे, घर की कलह समाप्त हो जाएगी। बहू-बेटे अपने माता-पिता की विशेष सेवा किया करेंगे। घर में परमात्मा का निवास होगा। भूत-प्रेत, पित्तर-भैरव-बेताल जैसी बुरी आत्माएँ उस परिवार के आसपास नहीं आएँगी। देवता उस भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं। अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा।
इस पुस्तक को पढ़ने से उजड़े परिवार बस जाएँगे। जिस परिवार में यह पुस्तक रहेगी, इसको पढ़ेंगे। जिस कारण से नशा अपने आप छूट जाएगा क्योंकि इसमें ऐसे प्रमाण हैं जो आत्मा को छू जाते हैं। शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशे के प्रति ऐसी घृणा हो जाएगी कि इनका नाम लेने से रूह काँप जाया करेगी। पूरा परिवार सुख का जीवन जीएगा। जीवन का सफर आसानी से तय होगा क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
इस पुस्तक में, पूर्ण परमात्मा कौन है? उसका नाम क्या है? उसकी भक्ति कैसी है? सब जानकारी मिलेगी। मानव जीवन सफल हो जाएगा। परिवार में किसी प्रकार की बुराई नहीं रहेगी। परमात्मा की कृपा सदा बनी रहेगी। जीने की राह उत्तम मिलने से यात्रा आसान हो जाएगी। जो इस पुस्तक को घर में नहीं रखेगा, वह जीवन की राह उत्तम न मिलने से संसार रूपी वन में भटककर अनमोल जीवन नष्ट करेगा। परमात्मा के घर में जाकर पश्चाताप के अतिरिक्त कुछ हाथ नहीं लगेगा। उस समय आपको पता चलेगा कि जीने की राह उत्तम न मिलने से जिंदगी बर्बाद हो गई। फिर आप परमात्मा से विनय करेंगे कि हे प्रभु! एक मानव जीवन और बख्श दो। मैं सच्चे मन से सत्य भक्ति करूँगा। जीवन की सच्ची राह की खोज करने सत्संग में जाया करूँगा। आजीवन भक्ति करूँगा। अपना कल्याण करवाऊँगा।
उस परमात्मा के दरबार (कार्यालय) में आपके पूर्व के जन्मों की फिल्म चलाई जाएगी जिनमें आप प्रत्येक बार जब-जब मानव जीवन प्राप्त हुआ था, आपने यही कहा था कि एक मानव जीवन और दे दो, कभी बुराई नहीं करूँगा । आजीवन भक्ति भी करूँगा। घर का कार्य निर्वाह के लिए भी करूँगा। पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर कल्याण करवाऊँगा। जो गलती अबके मानव जीवन में हुई है, कभी नहीं दोहराऊँगा / दोहराऊँगी।
फिर परमात्मा जी कहते हैं कि अपने आपको तो मूर्ख बनाकर जीवन नष्ट करके आ खड़ा हुआ पापों की गाड़ी भरकर, मुझे भी मूर्ख बनाना चाहता है। चल नरक में। फिर चौरासी लाख प्रकार के प्राणियों के शरीरों में चक्कर लगा। जब कभी मानव (स्त्री-पुरूष) शरीर मिले, सावधान होकर संतों का सत्संग सुनना और अपना कल्याण अवश्य करवाना।
 


Product Details

BN ID: 2940180728661
Publisher: SATLOK ASHRAM
Publication date: 11/11/2024
Sold by: Draft2Digital
Format: eBook
File size: 31 MB
Note: This product may take a few minutes to download.
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