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श्रीमहाकाल क्षेत्र ;उज्जैनद्ध सभी प्रकार के पापों का नाश करने के कारण आदिक्षेत्र के नाम से विख्यात है। मातृकाओं के यहाँ निवास होने से इसे ‘पीठ’ भी कहते हैं। यह क्षेत्र शंकर भगवान का प्रिय व नित्य निवास होने के कारण, महाकालवन व विमुक्ति क्षेत्र भी कहा जाता है। इस श्रीमहाकाल क्षेत्र का निर्माण भगवान शिव ने भक्तों पर अनुग्रह करने के लिये किया है। प्रभु महाकाल वन में लिंग विग्रह में विराजित है। इन श्रीमहाकाल के कारण ही शिप्रा का प्रवाह चल रहा है। श्रीमहाकाल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में मुख्य हैं। लेखक ने अनेक अध्यायों द्वारा उज्जैन के तीर्थों व उसकी महिमा का परिचय कराया है। भगवान शिव के विभिन्न लिंगों का भी वर्णन करते हुए पाठकों के लिये अच्छी सामग्री प्रस्तुत की है। महाशक्ति के इक्कावन शक्तिपीठों का परिचय करवाने के साथ उनकी सूची भी साथ जोड़ी है। इसके साथ ही, कालभैरव का भी संक्षिप्त ज्ञान हो सके इसलिये एक छोटे अध्याय द्वारा उनका परिचय कराया है। श्रीमहाकाल की मंगल प्रार्थना आदि जोड़कर पुस्तक को पठनीय बना दिया है। आप श्रीमहाकाल व उनकी नगरी का वर्णन पढ़कर.श्रवणकर भगवान श्रीमहाकाल का आशीर्वाद व पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
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श्रीमहाकाल क्षेत्र ;उज्जैनद्ध सभी प्रकार के पापों का नाश करने के कारण आदिक्षेत्र के नाम से विख्यात है। मातृकाओं के यहाँ निवास होने से इसे ‘पीठ’ भी कहते हैं। यह क्षेत्र शंकर भगवान का प्रिय व नित्य निवास होने के कारण, महाकालवन व विमुक्ति क्षेत्र भी कहा जाता है। इस श्रीमहाकाल क्षेत्र का निर्माण भगवान शिव ने भक्तों पर अनुग्रह करने के लिये किया है। प्रभु महाकाल वन में लिंग विग्रह में विराजित है। इन श्रीमहाकाल के कारण ही शिप्रा का प्रवाह चल रहा है। श्रीमहाकाल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में मुख्य हैं। लेखक ने अनेक अध्यायों द्वारा उज्जैन के तीर्थों व उसकी महिमा का परिचय कराया है। भगवान शिव के विभिन्न लिंगों का भी वर्णन करते हुए पाठकों के लिये अच्छी सामग्री प्रस्तुत की है। महाशक्ति के इक्कावन शक्तिपीठों का परिचय करवाने के साथ उनकी सूची भी साथ जोड़ी है। इसके साथ ही, कालभैरव का भी संक्षिप्त ज्ञान हो सके इसलिये एक छोटे अध्याय द्वारा उनका परिचय कराया है। श्रीमहाकाल की मंगल प्रार्थना आदि जोड़कर पुस्तक को पठनीय बना दिया है। आप श्रीमहाकाल व उनकी नगरी का वर्णन पढ़कर.श्रवणकर भगवान श्रीमहाकाल का आशीर्वाद व पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
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Product Details
ISBN-13: | 9788121251389 |
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Publisher: | Gyan Publishing House |
Publication date: | 06/30/2012 |
Sold by: | Barnes & Noble |
Format: | eBook |
Pages: | 246 |
File size: | 1 MB |
Language: | Hindi |
From the B&N Reads Blog