Diya Jale Saari Raat: Bin Baati Bin Tail (दीया जले सारी रात बिन बाती बिन तेल)
तुम अगर अंधेरे होते तो तुम्हारी मुक्ति का कोई उपाय नहीं था। अंधेरे की कोई मुक्ति नहीं हो सकती। क्यों? अंधेरा है ही नहीं। तुम्हारी मुक्ति हो सकती है, क्योंकि तुम अंधेरा नहीं हो। बिन बाती बिन तेल तुम जल रहे हो। तुम्हारे भीतर एक दीया है, जो सदा से जल रहा है। सदा जलता रहेगा। कितना ही ढंक जाए, जैसे बादल आ जाते हैं, आकाश में सूरज ढंक जाता है। इससे कोई सूरज मिटता नहीं। जरा बादलों की परतों को हटाओ, सूरज फिर प्रकट हो जाता है। थोड़ी सी हवाएं चाहिए बुद्धपुरुषों की, कि तुम्हारे बादल छितर-बितर हो जाएं और तुम्हें स्मरण आ जाए कि तुम कौन हो ! आत्मबोध--कोई आत्मा को पैदा करना नहीं है, सिर्फ भूली आत्मा की पुनः स्मृति है, सुरति है।
- ओशो
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Diya Jale Saari Raat: Bin Baati Bin Tail (दीया जले सारी रात बिन बाती बिन तेल)
तुम अगर अंधेरे होते तो तुम्हारी मुक्ति का कोई उपाय नहीं था। अंधेरे की कोई मुक्ति नहीं हो सकती। क्यों? अंधेरा है ही नहीं। तुम्हारी मुक्ति हो सकती है, क्योंकि तुम अंधेरा नहीं हो। बिन बाती बिन तेल तुम जल रहे हो। तुम्हारे भीतर एक दीया है, जो सदा से जल रहा है। सदा जलता रहेगा। कितना ही ढंक जाए, जैसे बादल आ जाते हैं, आकाश में सूरज ढंक जाता है। इससे कोई सूरज मिटता नहीं। जरा बादलों की परतों को हटाओ, सूरज फिर प्रकट हो जाता है। थोड़ी सी हवाएं चाहिए बुद्धपुरुषों की, कि तुम्हारे बादल छितर-बितर हो जाएं और तुम्हें स्मरण आ जाए कि तुम कौन हो ! आत्मबोध--कोई आत्मा को पैदा करना नहीं है, सिर्फ भूली आत्मा की पुनः स्मृति है, सुरति है।
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Diya Jale Saari Raat: Bin Baati Bin Tail (दीया जले सारी रात बिन बाती बिन तेल)

by Osho
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by Osho

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तुम अगर अंधेरे होते तो तुम्हारी मुक्ति का कोई उपाय नहीं था। अंधेरे की कोई मुक्ति नहीं हो सकती। क्यों? अंधेरा है ही नहीं। तुम्हारी मुक्ति हो सकती है, क्योंकि तुम अंधेरा नहीं हो। बिन बाती बिन तेल तुम जल रहे हो। तुम्हारे भीतर एक दीया है, जो सदा से जल रहा है। सदा जलता रहेगा। कितना ही ढंक जाए, जैसे बादल आ जाते हैं, आकाश में सूरज ढंक जाता है। इससे कोई सूरज मिटता नहीं। जरा बादलों की परतों को हटाओ, सूरज फिर प्रकट हो जाता है। थोड़ी सी हवाएं चाहिए बुद्धपुरुषों की, कि तुम्हारे बादल छितर-बितर हो जाएं और तुम्हें स्मरण आ जाए कि तुम कौन हो ! आत्मबोध--कोई आत्मा को पैदा करना नहीं है, सिर्फ भूली आत्मा की पुनः स्मृति है, सुरति है।
- ओशो

Product Details

ISBN-13: 9789356847866
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication date: 08/30/2024
Pages: 458
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 1.02(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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