Hari Anant Hari Katha Ananta Bhag-8: भाग -8)
यह पुस्तक उन्हीं स्मृति खंडों का प्रवाह है। बाबा जी कहते हैं कि भगवान श्री रजनीश जी के एक प्रवचन का पहला वाक्य ही था - जीवन ही है परमात्मा। इसी वाक्य ने उनको उद्बुद्ध कर दिया । वे इसी को बीजमंत्र बनाकर एक महत् एवं गुह्य प्रयोग में उतर गये। वे कहते हैं कि उसी प्रयोग की सफलता का परिणाम वे स्वयं हो गये हैं। वे अब प्रायः कहते हैं कि जीवन ही परमात्मा है और वह रहस्य है ।

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Hari Anant Hari Katha Ananta Bhag-8: भाग -8)
यह पुस्तक उन्हीं स्मृति खंडों का प्रवाह है। बाबा जी कहते हैं कि भगवान श्री रजनीश जी के एक प्रवचन का पहला वाक्य ही था - जीवन ही है परमात्मा। इसी वाक्य ने उनको उद्बुद्ध कर दिया । वे इसी को बीजमंत्र बनाकर एक महत् एवं गुह्य प्रयोग में उतर गये। वे कहते हैं कि उसी प्रयोग की सफलता का परिणाम वे स्वयं हो गये हैं। वे अब प्रायः कहते हैं कि जीवन ही परमात्मा है और वह रहस्य है ।

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Hari Anant Hari Katha Ananta Bhag-8: भाग -8)

by Swami Vitraag Chaitanya
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by Swami Vitraag Chaitanya

Paperback

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Overview

यह पुस्तक उन्हीं स्मृति खंडों का प्रवाह है। बाबा जी कहते हैं कि भगवान श्री रजनीश जी के एक प्रवचन का पहला वाक्य ही था - जीवन ही है परमात्मा। इसी वाक्य ने उनको उद्बुद्ध कर दिया । वे इसी को बीजमंत्र बनाकर एक महत् एवं गुह्य प्रयोग में उतर गये। वे कहते हैं कि उसी प्रयोग की सफलता का परिणाम वे स्वयं हो गये हैं। वे अब प्रायः कहते हैं कि जीवन ही परमात्मा है और वह रहस्य है ।


Product Details

ISBN-13: 9789363187641
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication date: 07/18/2024
Pages: 906
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 2.01(d)
Language: Hindi
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