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इया पुस्तक पर वेब पत्रिका -"अभिव्यक्ति-अनुभूति" की संपादक पूर्णिमा वर्मन जी के उद्गार-

कल्पना रामानी एक जीता जागता चमत्कार

कल्पना रामानी जी इंटरनेट और वेब का एक जीता जागता चमत्कार हैं। अगर इंटरनेट न होता तो हम इस चमत्कार से वंचित रह जाते। एक ऐसा चमत्कार जो देखते ही देखते एक सामान्य गृहणी को जानी-मानी रचनाकार के रूप में हम सबके प्रकट कर दे। ऐसा कहना उनके अपने श्रम को नकारना नहीं है, बेशक उनमें प्रतिभा, लगन और मेधा का बीज कहीं छुपा था जो इंटरनेट की विभिन्न धाराओं से सिंचकर पल्लवित हो गया।
अभी कल की ही बात थी कि फेसबुक पर उनसे परिचय हुआ था। भोली-भाली, सीधी-साधी महिला, कविता में रुचि रखने वाली कुछ न कुछ लिखने वाली और पूरी तरह से अनाश्वस्त कि जो लिख रही हैं वह कैसा है, लेकिन साल बीतते न बीतते वे कविता की तमाम विधाओं को पूरी आश्वस्ति से समझने लगी थीं। हमारे अभिव्यक्ति के फेसबुक समूह और नवगीत की पाठशाला में उन जैसा मेधावी कोई सदस्य नहीं। जिस तेजी से उन्होंने छंद और लय को समझा, आत्मसात किया और कविताओं में रचा, वह आश्चर्य चकित कर देने वाला था। गीत, दोहे, कुंडलिया और फिर गजल वे हर विधा की बारीकियों में निष्णात होती चली गईं।
आज वे अभिव्यक्ति एवं अनुभूति के संपादक मंडल का हिस्सा हैं और उनके हौसलों की उड़ान देश विदेश में पहुँच जाने वाली है। उनके शिल्प और संवेदना पर बहुत कहने की आवश्यकता नहीं क्यों कि वह आपके हाथों में है। रचना का जादू मन मोहे तो फिर कहने को कुछ बचता नहीं। उनका सान्निध्य अपने आप में एक उपहार है। उनकी रचनाओं के द्वारा यह उपहार सभी पाठकों तक पहुँचे। यह जादू बना रहे और नये नये चमत्कार हमें देखने को मिलें यही मंगलकामना है।

पूर्णिमा वर्मन
संपादक अभिव्यक्ति / अनुभूति

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इया पुस्तक पर वेब पत्रिका -"अभिव्यक्ति-अनुभूति" की संपादक पूर्णिमा वर्मन जी के उद्गार-

कल्पना रामानी एक जीता जागता चमत्कार

कल्पना रामानी जी इंटरनेट और वेब का एक जीता जागता चमत्कार हैं। अगर इंटरनेट न होता तो हम इस चमत्कार से वंचित रह जाते। एक ऐसा चमत्कार जो देखते ही देखते एक सामान्य गृहणी को जानी-मानी रचनाकार के रूप में हम सबके प्रकट कर दे। ऐसा कहना उनके अपने श्रम को नकारना नहीं है, बेशक उनमें प्रतिभा, लगन और मेधा का बीज कहीं छुपा था जो इंटरनेट की विभिन्न धाराओं से सिंचकर पल्लवित हो गया।
अभी कल की ही बात थी कि फेसबुक पर उनसे परिचय हुआ था। भोली-भाली, सीधी-साधी महिला, कविता में रुचि रखने वाली कुछ न कुछ लिखने वाली और पूरी तरह से अनाश्वस्त कि जो लिख रही हैं वह कैसा है, लेकिन साल बीतते न बीतते वे कविता की तमाम विधाओं को पूरी आश्वस्ति से समझने लगी थीं। हमारे अभिव्यक्ति के फेसबुक समूह और नवगीत की पाठशाला में उन जैसा मेधावी कोई सदस्य नहीं। जिस तेजी से उन्होंने छंद और लय को समझा, आत्मसात किया और कविताओं में रचा, वह आश्चर्य चकित कर देने वाला था। गीत, दोहे, कुंडलिया और फिर गजल वे हर विधा की बारीकियों में निष्णात होती चली गईं।
आज वे अभिव्यक्ति एवं अनुभूति के संपादक मंडल का हिस्सा हैं और उनके हौसलों की उड़ान देश विदेश में पहुँच जाने वाली है। उनके शिल्प और संवेदना पर बहुत कहने की आवश्यकता नहीं क्यों कि वह आपके हाथों में है। रचना का जादू मन मोहे तो फिर कहने को कुछ बचता नहीं। उनका सान्निध्य अपने आप में एक उपहार है। उनकी रचनाओं के द्वारा यह उपहार सभी पाठकों तक पहुँचे। यह जादू बना रहे और नये नये चमत्कार हमें देखने को मिलें यही मंगलकामना है।

पूर्णिमा वर्मन
संपादक अभिव्यक्ति / अनुभूति

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इया पुस्तक पर वेब पत्रिका -"अभिव्यक्ति-अनुभूति" की संपादक पूर्णिमा वर्मन जी के उद्गार-

कल्पना रामानी एक जीता जागता चमत्कार

कल्पना रामानी जी इंटरनेट और वेब का एक जीता जागता चमत्कार हैं। अगर इंटरनेट न होता तो हम इस चमत्कार से वंचित रह जाते। एक ऐसा चमत्कार जो देखते ही देखते एक सामान्य गृहणी को जानी-मानी रचनाकार के रूप में हम सबके प्रकट कर दे। ऐसा कहना उनके अपने श्रम को नकारना नहीं है, बेशक उनमें प्रतिभा, लगन और मेधा का बीज कहीं छुपा था जो इंटरनेट की विभिन्न धाराओं से सिंचकर पल्लवित हो गया।
अभी कल की ही बात थी कि फेसबुक पर उनसे परिचय हुआ था। भोली-भाली, सीधी-साधी महिला, कविता में रुचि रखने वाली कुछ न कुछ लिखने वाली और पूरी तरह से अनाश्वस्त कि जो लिख रही हैं वह कैसा है, लेकिन साल बीतते न बीतते वे कविता की तमाम विधाओं को पूरी आश्वस्ति से समझने लगी थीं। हमारे अभिव्यक्ति के फेसबुक समूह और नवगीत की पाठशाला में उन जैसा मेधावी कोई सदस्य नहीं। जिस तेजी से उन्होंने छंद और लय को समझा, आत्मसात किया और कविताओं में रचा, वह आश्चर्य चकित कर देने वाला था। गीत, दोहे, कुंडलिया और फिर गजल वे हर विधा की बारीकियों में निष्णात होती चली गईं।
आज वे अभिव्यक्ति एवं अनुभूति के संपादक मंडल का हिस्सा हैं और उनके हौसलों की उड़ान देश विदेश में पहुँच जाने वाली है। उनके शिल्प और संवेदना पर बहुत कहने की आवश्यकता नहीं क्यों कि वह आपके हाथों में है। रचना का जादू मन मोहे तो फिर कहने को कुछ बचता नहीं। उनका सान्निध्य अपने आप में एक उपहार है। उनकी रचनाओं के द्वारा यह उपहार सभी पाठकों तक पहुँचे। यह जादू बना रहे और नये नये चमत्कार हमें देखने को मिलें यही मंगलकामना है।

पूर्णिमा वर्मन
संपादक अभिव्यक्ति / अनुभूति


Product Details

BN ID: 2940163322862
Publisher: ?????? ??????
Publication date: 08/07/2019
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 300 KB
Language: Hindi

About the Author

६ जून १९५१ को उज्जैन में जन्म। कंप्यूटर से जुड़ने के बाद रचनात्मक सक्रियता। कहानियाँ, लघुकथाओं के अलावा गीत, गजल आदि छंद विधाओं में रुचि.
लेखन की शुरुवात -सितम्बर २०११ से
रचनाएँ अनेक स्तरीय मुद्रित पत्र-पत्रिकाओं के साथ ही अंतर्जाल पर लगातार प्रकाशित होती रहती हैं।

*प्रकाशित कृतियाँ-
१)नवगीत संग्रह- “हौसलों के पंख”(२०१३-अंजुमन प्रकाशन)
३)गीत-नवगीत- संग्रह-“खेतों ने ख़त लिखा”(२०१६-अयन प्रकाशन)
४)ग़ज़ल संग्रह- संग्रह मैं ‘ग़ज़ल कहती रहूँगी’(२०१६ अयन प्रकाशन)

*पुरस्कार व सम्मान
-पूर्णिमा वर्मन(संपादक वेब पत्रिका-“अभिव्यक्ति-अनुभूति”)द्वारा मेरे प्रथम नवगीत संग्रह पर नवांकुर पुरस्कार से सम्मानित
-कहानी प्रधान पत्रिका कथाबिम्ब में प्रकाशित कहानी 'कसाईखाना' कमलेश्वर स्मृति पुरस्कार से सम्मानित
- कहानी 'अपने-अपने हिस्से की धूप" प्रतिलिपि कहानी प्रतियोगिता में प्रथम व लघुकथा "दासता के दाग" के लिए लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित

*सम्प्रति
वर्तमान में वेब पर प्रकाशित होने वाली पत्रिका- अभिव्यक्ति-
अनुभूति(संपादक/पूर्णिमा वर्मन) के सह-संपादक पद पर कार्यरत।

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