Karamyog: Bhagwat Gita Ka Manovigyan - Bhag-3 (कर्मयोग भगवत गीता का मनोविज्ञान - भì
ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
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Karamyog: Bhagwat Gita Ka Manovigyan - Bhag-3 (कर्मयोग भगवत गीता का मनोविज्ञान - भì
ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
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354
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354Paperback
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Product Details
ISBN-13: | 9798189182921 |
---|---|
Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
Publication date: | 01/13/2023 |
Pages: | 354 |
Product dimensions: | 5.50(w) x 8.50(h) x 0.79(d) |
Language: | Hindi |
From the B&N Reads Blog