Satya Hi Ishwar Hai सत्य ही ईश्वर है (Hindi Edition)
ईश्वर सर्वदा सत्य में ही है। वेद, शास्त्र एवं पुराणों में कहा गया है कि सत्य के समान दूसरा धर्म नहीं है। सत्य बोलने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमें याद नहीं रखना पड़ता कि हमने किससे कहां क्या कहा था। झूठ में क्षणिक आकर्षण हो सकता है, पर वास्तविक आकर्षण तो तो सत्य में ही है। महात्मा गांधी ने कहा है कि सत्य से अलग कोई परमेश्वर है, ऐसा मैंने कभी अनुभव नहीं किया। उन्होंने तो अपनी आत्मकथा का नाम ही 'सत्य के प्रयोग' रखा। मनुष्य लालच में पड़कर झूठ बोलता है। बालक अपने शैशवकाल में सत्य ही बोलता है, पर हम अपने स्वार्थवश उसे असत्य की राह पकड़ा देते हैं। सत्य का मार्ग तलवार की धार के समान है। उस पर चलते समय बहुत सावधानी रखनी पड़ती है। सत्य का अर्थ सिर्फ दूसरों की कमी निकालना नहीं होता। बहरे को बहरा और काणे को काणा कह देना तथ्य हो सकता है, पर सत्य नहीं हो सकता। तथ्य जब पीड़ादायक होता है, तब वह असत्य बन जाता है। लिखना, बोलना और बातों को उसी रूप में अभिव्यक्त कर देना सत्य नहीं है। सत्य के प्रति अनुराग, भावना, प्रेरणा और चिंतन भी होना चाहिए। सत्य को संसार में सर्वोपरि समझें। सत्य सिर्फ आचरण में ही नहीं, भावना में भी प्रकट होना चाहिए।
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Satya Hi Ishwar Hai सत्य ही ईश्वर है (Hindi Edition)
ईश्वर सर्वदा सत्य में ही है। वेद, शास्त्र एवं पुराणों में कहा गया है कि सत्य के समान दूसरा धर्म नहीं है। सत्य बोलने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमें याद नहीं रखना पड़ता कि हमने किससे कहां क्या कहा था। झूठ में क्षणिक आकर्षण हो सकता है, पर वास्तविक आकर्षण तो तो सत्य में ही है। महात्मा गांधी ने कहा है कि सत्य से अलग कोई परमेश्वर है, ऐसा मैंने कभी अनुभव नहीं किया। उन्होंने तो अपनी आत्मकथा का नाम ही 'सत्य के प्रयोग' रखा। मनुष्य लालच में पड़कर झूठ बोलता है। बालक अपने शैशवकाल में सत्य ही बोलता है, पर हम अपने स्वार्थवश उसे असत्य की राह पकड़ा देते हैं। सत्य का मार्ग तलवार की धार के समान है। उस पर चलते समय बहुत सावधानी रखनी पड़ती है। सत्य का अर्थ सिर्फ दूसरों की कमी निकालना नहीं होता। बहरे को बहरा और काणे को काणा कह देना तथ्य हो सकता है, पर सत्य नहीं हो सकता। तथ्य जब पीड़ादायक होता है, तब वह असत्य बन जाता है। लिखना, बोलना और बातों को उसी रूप में अभिव्यक्त कर देना सत्य नहीं है। सत्य के प्रति अनुराग, भावना, प्रेरणा और चिंतन भी होना चाहिए। सत्य को संसार में सर्वोपरि समझें। सत्य सिर्फ आचरण में ही नहीं, भावना में भी प्रकट होना चाहिए।
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Satya Hi Ishwar Hai सत्य ही ईश्वर है (Hindi Edition)

Satya Hi Ishwar Hai सत्य ही ईश्वर है (Hindi Edition)

by Mahatma Gandhi
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by Mahatma Gandhi

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ईश्वर सर्वदा सत्य में ही है। वेद, शास्त्र एवं पुराणों में कहा गया है कि सत्य के समान दूसरा धर्म नहीं है। सत्य बोलने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हमें याद नहीं रखना पड़ता कि हमने किससे कहां क्या कहा था। झूठ में क्षणिक आकर्षण हो सकता है, पर वास्तविक आकर्षण तो तो सत्य में ही है। महात्मा गांधी ने कहा है कि सत्य से अलग कोई परमेश्वर है, ऐसा मैंने कभी अनुभव नहीं किया। उन्होंने तो अपनी आत्मकथा का नाम ही 'सत्य के प्रयोग' रखा। मनुष्य लालच में पड़कर झूठ बोलता है। बालक अपने शैशवकाल में सत्य ही बोलता है, पर हम अपने स्वार्थवश उसे असत्य की राह पकड़ा देते हैं। सत्य का मार्ग तलवार की धार के समान है। उस पर चलते समय बहुत सावधानी रखनी पड़ती है। सत्य का अर्थ सिर्फ दूसरों की कमी निकालना नहीं होता। बहरे को बहरा और काणे को काणा कह देना तथ्य हो सकता है, पर सत्य नहीं हो सकता। तथ्य जब पीड़ादायक होता है, तब वह असत्य बन जाता है। लिखना, बोलना और बातों को उसी रूप में अभिव्यक्त कर देना सत्य नहीं है। सत्य के प्रति अनुराग, भावना, प्रेरणा और चिंतन भी होना चाहिए। सत्य को संसार में सर्वोपरि समझें। सत्य सिर्फ आचरण में ही नहीं, भावना में भी प्रकट होना चाहिए।

Product Details

ISBN-13: 9781715301750
Publisher: Blurb
Publication date: 07/23/2025
Pages: 206
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.44(d)
Language: Hindi
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