उपनिषदों में रहस्यमयी विद्या की चर्चा होती है। अब जिस उपनिषद् की चर्चा करेंगे वह सूर्यदेव से संबंधित है। यह सूर्योपनिषद् अथर्ववेदीय परम्परा से संबंध रखता है। इस लघु उपनिषद में आठ श्लोकों में ब्रह्मा और सूर्य की अभिन्नता वर्णित है और बाद में सूर्य व आत्मा की अभिन्नता प्रतिपादित की गई है। इस उपनिषद् के पाठ के लिए हस्त नक्षत्र स्थित सूर्य का समय अर्थात् आश्विन मास सर्वोत्तम माना गया है। इसके पाठ से व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है। इस उपनिषद् के पाठ से सेहत ठीक रहती है और साधक दीर्घायु होता है। उसके मृत्यु भय की निवृत्ति हो जाती है।
उपनिषदों में रहस्यमयी विद्या की चर्चा होती है। अब जिस उपनिषद् की चर्चा करेंगे वह सूर्यदेव से संबंधित है। यह सूर्योपनिषद् अथर्ववेदीय परम्परा से संबंध रखता है। इस लघु उपनिषद में आठ श्लोकों में ब्रह्मा और सूर्य की अभिन्नता वर्णित है और बाद में सूर्य व आत्मा की अभिन्नता प्रतिपादित की गई है। इस उपनिषद् के पाठ के लिए हस्त नक्षत्र स्थित सूर्य का समय अर्थात् आश्विन मास सर्वोत्तम माना गया है। इसके पाठ से व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है। इस उपनिषद् के पाठ से सेहत ठीक रहती है और साधक दीर्घायु होता है। उसके मृत्यु भय की निवृत्ति हो जाती है।

Suryopanishada

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Product Details
BN ID: | 2940153124186 |
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Publisher: | Umesh Puri |
Publication date: | 07/08/2016 |
Sold by: | Smashwords |
Format: | eBook |
File size: | 339 KB |
Language: | Hindi |