Yah Jo Kadi Hai

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

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मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

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मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।

मेरे लिए कविता भावों की अभिव्यक्ति है। आज के युग में छंद और अलंकारों का महत्व नहीं रह गया है। गद्य कविता या मुक्तक ने स्थान ले लिया है। ऐसे में तुक मिल जाना केवल ध्वनि सौंदर्य को बढ़ाने का उपक्रम मात्र है।
इस संग्रह में मैंने प्रयास किया है कि विविध विषयों के मोतियों को पिरोकर एक सुंदर माला बनाऊँ। कड़ी-कड़ी जोड़कर जीवन को अपनी दृष्टि से अवलोकित करने का प्रयास किया है। इसमें मैं कहाँ तक सफल रहा हूँ यह तो पाठक और समीक्षक ही तय करेंगे।
कुछ कविताएँ ज्वलंत विषयों पर आधरित हैं। संभव है कुछ दूसरों की मानसिकता या सोच से मेल न खाएँ। मैंने ‘महाजनो येन गतः स पन्थाः ’ का अनुसरण करने की चेष्टा की है। कहीं प्रेम से सराबोर पंक्तियाँ हैं तो कहीं कथित आधुनिकता को परे ढकेल पुरातन संस्कृति एवं ग्राम्य वातावरण की पक्षधर पंक्तियाँ। कुछ कविताएँ प्रकृति की अनुपम छटा को चित्रित करती हैं।


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BN ID: 2940155359364
Publisher: ?????? ??????????
Publication date: 07/31/2018
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 294 KB
Language: Hindi

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सम्पादक के पद पर कार्यरत

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