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Paperback

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Overview

""2018 में, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा, भारत में समलैंगिक सम्बन्धों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का एतिहासिक निर्णय दिया गया। कहानी 2016-17 की दिल्ली के आस-पास घूमती है। यह किताब ऐतिहासिक फैसले से पहले और बाद के क़्वीर समुदाय के व्यक्तियों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती हुई नज़र आती है। यहाँ समस्या केवल 377 के काले कानून तक ही सीमित नही है बल्कि यह समाज के भीतर भी गहराई तक धँसी हुई है। यह किताब उस समाज के ऊपर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाती है जो न जाने कब से अपने ही एक इतने बड़े हिस्से को दबाता-कुचलता हुआ आ रहा है। एक तथ्य यह भी है कि समलैंगिक सम्बन्धों की अस्वीकार्यता के कारण ही भारतीय समाज में सदियों से मैरिज ऑफ कन्वीनियंस ने अपनी एक जगह बना ली है। चूँकि समाज पित्रसत्तात्मक है तो केवल विषमलिंगी विवाह को ही एकमात्र विवाह पद्धति के रूप देखा जाता रहा है। यह कथा सत्य घटनाओं से प्रेरणा लेते हुये लिखी गई है। यह बताती है कि कैसे लोग मैरिज ऑफ कन्वीनियन्स को अपनाते हैं और उनमें से किन लोगों की इसकी बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ती है। ""

Product Details

ISBN-13: 9789358736762
Publisher: Libresco Feeds Private Limited
Publication date: 10/06/2023
Pages: 248
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.52(d)
From the B&N Reads Blog

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