अल्फ़ाज़ों का काफिला
जहाँ एहसास ग़ज़लों की तरह बहते हैं और दिल छलकते छलकते बोलता है, वहां की दुनिया में डुबकी लगाइए।हर शेर अल्फ़ाज़ों का एक नाजुक रक़्स है, जो प्यार, तड़प, दिल टूटने और उम्मीदों की कहानियाँ बुनता है। यह किताब आपको रूह के एक सफ़र पर ले जाती है, जहाँ हर एहसास एक कहानी है जो कहे जाने का इंतजार कर रहा है। चाहे वो प्यार की फुसफुसाहट हो, अनकहे दर्द के बेज़ुबान आँसू हों, या उम्मीद का सुकून देने वाला मरहम हो।
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अल्फ़ाज़ों का काफिला
जहाँ एहसास ग़ज़लों की तरह बहते हैं और दिल छलकते छलकते बोलता है, वहां की दुनिया में डुबकी लगाइए।हर शेर अल्फ़ाज़ों का एक नाजुक रक़्स है, जो प्यार, तड़प, दिल टूटने और उम्मीदों की कहानियाँ बुनता है। यह किताब आपको रूह के एक सफ़र पर ले जाती है, जहाँ हर एहसास एक कहानी है जो कहे जाने का इंतजार कर रहा है। चाहे वो प्यार की फुसफुसाहट हो, अनकहे दर्द के बेज़ुबान आँसू हों, या उम्मीद का सुकून देने वाला मरहम हो।
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अल्फ़ाज़ों का काफिला

अल्फ़ाज़ों का काफिला

by Amit Khajuria
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by Amit Khajuria

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Overview

जहाँ एहसास ग़ज़लों की तरह बहते हैं और दिल छलकते छलकते बोलता है, वहां की दुनिया में डुबकी लगाइए।हर शेर अल्फ़ाज़ों का एक नाजुक रक़्स है, जो प्यार, तड़प, दिल टूटने और उम्मीदों की कहानियाँ बुनता है। यह किताब आपको रूह के एक सफ़र पर ले जाती है, जहाँ हर एहसास एक कहानी है जो कहे जाने का इंतजार कर रहा है। चाहे वो प्यार की फुसफुसाहट हो, अनकहे दर्द के बेज़ुबान आँसू हों, या उम्मीद का सुकून देने वाला मरहम हो।

Product Details

ISBN-13: 9789363310230
Publisher: Bookleaf Publishing
Publication date: 09/12/2024
Pages: 114
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.24(d)
Language: Hindi

About the Author

डॉ. अमित खजुरिया का जन्म 1987 में सुरनकोट, जम्मू और कश्मीर में हुआ।इन्होंने अपनी 6th से 12th तक की पड़ाई डलहौज़ी पब्लिक स्कूल, बदानी से पूरी की। पहाड़ों में जन्मे और पहाड़ों में ही शिक्षा प्राप्त करने वाले डॉ अमित खजूरिया ने अपने जज़्बातों को व्यक्त करने के लिए कविताओं और ग़ज़लों का सहारा लिया। धीरे-धीरे शायरी की ओर बढ़ते हुए, इन्होंने अपनी लेखनी से अपने आस पास के दोस्तों के दिलों को छूना शुरू किया। इन्होंने पशु चिकित्सा विज्ञान में बैचलर्स और पशु सर्जरी चिकित्सा में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। इनको विशेषज्ञता 2018 में कैनाइन प्रैक्टिस में सर्वश्रेष्ठ सर्जन का पुरस्कार मिला। पइश्क़ के सफर में कई कठिनाईयों का सामना करते हुए, इनको दुख और ग़मों का सामना करना पड़ा और फिर यह अपनी पत्नी से अलग हो गए। आज यह अपनी बेटी मिश्का और दो चार पाओं वाले बच्चे, मिष्टी और रूडी, के साथ दिल्ली में रहते हैं। जीवन की इन मुश्किल हालातों ने इनकी रचनाओं को और भी गहराई दी है! यह ५ अलग अलग भाषा इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी, और हिन्दी में अपनी कविताएँ और शायरी लिखते हैं!
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