काग़ज़ की कश्ती
इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों का ध्यान आज के एकाकी पन पर, कुछ माँ के विषय में, कुछ प्रेमी प्रेमिका के दिल के हाल और अन्त में बच्चों के लिए छोटी कविताओं पर केन्द्रित किया है । भाषा सरल होने के कारण, उम्मीद है सबको पसंद आएगी । थोड़ा बहुत उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है जो की अक्सर रोज़ मर्रा की भाषा में प्रयुक्त होते हैं ।
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काग़ज़ की कश्ती
इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों का ध्यान आज के एकाकी पन पर, कुछ माँ के विषय में, कुछ प्रेमी प्रेमिका के दिल के हाल और अन्त में बच्चों के लिए छोटी कविताओं पर केन्द्रित किया है । भाषा सरल होने के कारण, उम्मीद है सबको पसंद आएगी । थोड़ा बहुत उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है जो की अक्सर रोज़ मर्रा की भाषा में प्रयुक्त होते हैं ।
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काग़ज़ की कश्ती

काग़ज़ की कश्ती

by मंजू जिंदल
काग़ज़ की कश्ती

काग़ज़ की कश्ती

by मंजू जिंदल

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Overview

इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों का ध्यान आज के एकाकी पन पर, कुछ माँ के विषय में, कुछ प्रेमी प्रेमिका के दिल के हाल और अन्त में बच्चों के लिए छोटी कविताओं पर केन्द्रित किया है । भाषा सरल होने के कारण, उम्मीद है सबको पसंद आएगी । थोड़ा बहुत उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग किया गया है जो की अक्सर रोज़ मर्रा की भाषा में प्रयुक्त होते हैं ।

Product Details

ISBN-13: 9789370927513
Publisher: Bookleaf Publishing
Publication date: 06/14/2025
Pages: 48
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.10(d)
Language: Hindi

About the Author

मंजू जिंदल का जन्म दिल्ली में हुआ था यहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी से इन्होंने अपनी एम ए बी एड की शिक्षा प्राप्त की । इनके परिवार में पति,तीन पुत्रियाँ और एक पुत्र है और सब विवाहित हैं । इन्हें छोटी-२ कविताएँ लिखने का शौक है और सरल शब्दों में अपने मन की बात कहना चाहती हैं । अब ये अपने पति डॉ जे पी जिंदल और पुत्र अग्रिम जिंदल और पुत्रवधु अपूर्वा के साथ ह्यूस्टन शहर अमेरिका में रहती हैं । इनको लिखने के साथ खाना बनाना, निटिंग और क्रोशे भी करना पसंद है।
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