काहे मन अनुरागी
निःसंदेह कविता ही वह सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा बेज़ुबान भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति सम्भव है । इसीलिए जब अपने मन के अव्यक्त भावों की अभिव्यक्ति की कश्मकश में कुछ लिखना आरंभ किया तो कलम ने भी अपनी गति और दिशा पकड़ ली । काव्य लेखन की तमाम मान्यताओं, नियमों, छंदों, मानदंडों, कसौटी आदि की बंदिशों - दायरों से परे मात्र अभिव्यक्ति के संतोष भाव की पूर्णता ने हृदय को सभी चिंताओं से मुक्त कर दिया । त्रुटियाँ करना इंसान होने की अनिवार्य योग्यता है तो इससे दूर कैसे रहा जा सकता है । परंतु यह भी सच है कि हमारी यही कमियाँ हमें भविष्य में और बेहतर करने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं । इस पुस्तक के माध्यम से कुछ ऐसे ही प्रयास का आरंभ तो कर रहा हूँ, अब अन्त ना जाने कहाँ होगा ? परंतु आप सभी के विचार, सुझाव, टिप्पणियों, सद्भावनाओं और आशीर्वाद की चाहत सदैव बनी रहेगी । rajesh.bwn@gmail.com
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काहे मन अनुरागी
निःसंदेह कविता ही वह सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा बेज़ुबान भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति सम्भव है । इसीलिए जब अपने मन के अव्यक्त भावों की अभिव्यक्ति की कश्मकश में कुछ लिखना आरंभ किया तो कलम ने भी अपनी गति और दिशा पकड़ ली । काव्य लेखन की तमाम मान्यताओं, नियमों, छंदों, मानदंडों, कसौटी आदि की बंदिशों - दायरों से परे मात्र अभिव्यक्ति के संतोष भाव की पूर्णता ने हृदय को सभी चिंताओं से मुक्त कर दिया । त्रुटियाँ करना इंसान होने की अनिवार्य योग्यता है तो इससे दूर कैसे रहा जा सकता है । परंतु यह भी सच है कि हमारी यही कमियाँ हमें भविष्य में और बेहतर करने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं । इस पुस्तक के माध्यम से कुछ ऐसे ही प्रयास का आरंभ तो कर रहा हूँ, अब अन्त ना जाने कहाँ होगा ? परंतु आप सभी के विचार, सुझाव, टिप्पणियों, सद्भावनाओं और आशीर्वाद की चाहत सदैव बनी रहेगी । rajesh.bwn@gmail.com
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by Rajesh Sharma
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निःसंदेह कविता ही वह सशक्त माध्यम है जिसके द्वारा बेज़ुबान भावों की पूर्ण अभिव्यक्ति सम्भव है । इसीलिए जब अपने मन के अव्यक्त भावों की अभिव्यक्ति की कश्मकश में कुछ लिखना आरंभ किया तो कलम ने भी अपनी गति और दिशा पकड़ ली । काव्य लेखन की तमाम मान्यताओं, नियमों, छंदों, मानदंडों, कसौटी आदि की बंदिशों - दायरों से परे मात्र अभिव्यक्ति के संतोष भाव की पूर्णता ने हृदय को सभी चिंताओं से मुक्त कर दिया । त्रुटियाँ करना इंसान होने की अनिवार्य योग्यता है तो इससे दूर कैसे रहा जा सकता है । परंतु यह भी सच है कि हमारी यही कमियाँ हमें भविष्य में और बेहतर करने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं । इस पुस्तक के माध्यम से कुछ ऐसे ही प्रयास का आरंभ तो कर रहा हूँ, अब अन्त ना जाने कहाँ होगा ? परंतु आप सभी के विचार, सुझाव, टिप्पणियों, सद्भावनाओं और आशीर्वाद की चाहत सदैव बनी रहेगी । rajesh.bwn@gmail.com

Product Details

ISBN-13: 9789354581274
Publisher: Pencil
Publication date: 07/15/2021
Pages: 92
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.22(d)
Language: Hindi
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