क्या आपके पास सब कुछ है, फिर भी कुछ खाली है?
क्या आप शोर में हैं, लेकिन भीतर सन्नाटा है?
क्या आप दूसरों से जुड़े हैं, लेकिन खुद से कटे हुए महसूस करते हैं?
"धुंध में दिखता सच" एक साधारण किताब नहीं, बल्कि एक भीतर लौटने की यात्रा है -
उन सवालों की तरफ जो हम अक्सर दबा देते हैं,
उन सच्चाइयों की ओर जो धुंध के पीछे छुपी होती हैं।
यह किताब उन लोगों के लिए है जो
- लगातार भाग रहे हैं लेकिन थक चुके हैं
- बाहर सब कुछ है, पर अंदर अधूरापन है
- जीवन को सिर्फ चलाना नहीं, समझना और जीना चाहते हैं
- मौन, बेचैनी और आत्म-संदेह के पार एक सच्चे जुड़ाव की तलाश में हैं
इसमें आपको मिलेंगी
- गहरे चिंतन की कहानियाँ
- जीवन की उलझनों को सुलझाने वाली आत्मिक अंतर्दृष्टि
- और ऐसे विचार जो आपको खुद से मिलवाएँगे - बिना दिखावे, बिना शोर के
अगर आप खुद से फिर जुड़ना चाहते हैं,
तो यह किताब आपका आइना भी है और आपका रास्ता भी।
एक नई शुरुआत की खोज - वहीं से जहाँ आप अभी हैं।
क्या आपके पास सब कुछ है, फिर भी कुछ खाली है?
क्या आप शोर में हैं, लेकिन भीतर सन्नाटा है?
क्या आप दूसरों से जुड़े हैं, लेकिन खुद से कटे हुए महसूस करते हैं?
"धुंध में दिखता सच" एक साधारण किताब नहीं, बल्कि एक भीतर लौटने की यात्रा है -
उन सवालों की तरफ जो हम अक्सर दबा देते हैं,
उन सच्चाइयों की ओर जो धुंध के पीछे छुपी होती हैं।
यह किताब उन लोगों के लिए है जो
- लगातार भाग रहे हैं लेकिन थक चुके हैं
- बाहर सब कुछ है, पर अंदर अधूरापन है
- जीवन को सिर्फ चलाना नहीं, समझना और जीना चाहते हैं
- मौन, बेचैनी और आत्म-संदेह के पार एक सच्चे जुड़ाव की तलाश में हैं
इसमें आपको मिलेंगी
- गहरे चिंतन की कहानियाँ
- जीवन की उलझनों को सुलझाने वाली आत्मिक अंतर्दृष्टि
- और ऐसे विचार जो आपको खुद से मिलवाएँगे - बिना दिखावे, बिना शोर के
अगर आप खुद से फिर जुड़ना चाहते हैं,
तो यह किताब आपका आइना भी है और आपका रास्ता भी।
एक नई शुरुआत की खोज - वहीं से जहाँ आप अभी हैं।
Product Details
ISBN-13: | 9798231501656 |
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Publisher: | Shakir Amin |
Publication date: | 07/29/2025 |
Pages: | 220 |
Product dimensions: | 5.00(w) x 8.00(h) x 0.50(d) |
Language: | Hindi |