मन की कविता
मन की कविता संग्रह एक बेहद ही दिलचस्प कविता संग्रह है। इसमें आपको विभिन्न विषयों पर लिखी हुई कविताओं का समावेश मिलेगा। विशेषकर महाकुम्भ के हाल ही में हुए आयोजन पर भी लेखक की लिखी कविता आपको कुंभ की भव्यता से परिचित करवाएगी। इसके अलावा पुस्तक में लेखक के भावों को कविता के रूप में आप पढ़ सकते हैं। काव्य की इस सरिता में विभिन्न विषयों से लगाव कविताओं में झलकता है। कविताओं के माध्यम से लेखक ने लोगों को जागरूक करने और विषयों के प्रति समझ विकसित करने का उद्देश्य भी रखा है। आशा है कि ये पुस्तक सभी पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।
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मन की कविता
मन की कविता संग्रह एक बेहद ही दिलचस्प कविता संग्रह है। इसमें आपको विभिन्न विषयों पर लिखी हुई कविताओं का समावेश मिलेगा। विशेषकर महाकुम्भ के हाल ही में हुए आयोजन पर भी लेखक की लिखी कविता आपको कुंभ की भव्यता से परिचित करवाएगी। इसके अलावा पुस्तक में लेखक के भावों को कविता के रूप में आप पढ़ सकते हैं। काव्य की इस सरिता में विभिन्न विषयों से लगाव कविताओं में झलकता है। कविताओं के माध्यम से लेखक ने लोगों को जागरूक करने और विषयों के प्रति समझ विकसित करने का उद्देश्य भी रखा है। आशा है कि ये पुस्तक सभी पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।
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मन की कविता

मन की कविता

by Chandra Mauli Pachrangia
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by Chandra Mauli Pachrangia

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Overview

मन की कविता संग्रह एक बेहद ही दिलचस्प कविता संग्रह है। इसमें आपको विभिन्न विषयों पर लिखी हुई कविताओं का समावेश मिलेगा। विशेषकर महाकुम्भ के हाल ही में हुए आयोजन पर भी लेखक की लिखी कविता आपको कुंभ की भव्यता से परिचित करवाएगी। इसके अलावा पुस्तक में लेखक के भावों को कविता के रूप में आप पढ़ सकते हैं। काव्य की इस सरिता में विभिन्न विषयों से लगाव कविताओं में झलकता है। कविताओं के माध्यम से लेखक ने लोगों को जागरूक करने और विषयों के प्रति समझ विकसित करने का उद्देश्य भी रखा है। आशा है कि ये पुस्तक सभी पाठकों को अवश्य पसंद आएगी।

Product Details

ISBN-13: 9789369539611
Publisher: Bookleaf Publishing
Publication date: 06/02/2025
Pages: 48
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.10(d)
Language: Hindi

About the Author

डॉक्टर चंद्रमौलि पचरंगिया साहित्य के साथ ही पत्रकारिता क्षेत्र से लंबे समय से जुड़े हैं। उनकी पुस्तक शिवनगरी के शिवालय का एक भाग प्रकाशित हो चुका है और भाग दो भी जल्द ही प्रकाशित होने वाला है। पचरंगिया को लेखन की प्रेरणा अपने पिता विश्व के महान साहित्यकार महामहोपाध्याय डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया से मिली। उनको अपनी माता गंगा पचरंगिया और भाई योगेश्वर का हमेशा समर्थन और सहयोग मिलता रहा है।
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