सीमित से असीमित की ओर
सीमित से असीमित की ओर'' शीर्षक इस पुस्तक का यह दर्शाता है कि हर एक कविता कैसे हर एक परिस्थिति को हर एक दिशा से देखने की कोशिश करती है कैसे हर एक कविता सोचने पर मजबूर करती है और दिखाती है की बुद्धि को सीमा मे रखकर कभी - कभी हम चीजो का एक अपना नज़रिया बना लेते है जिसके कारण से हम चीज़ो की, लोगो की और संसार की भिन्नताओं को ख़ूबसूरती के रूप मे ना देखकर हीन भावना से देखने लगते है ये सारी कविताये प्रेरित है जिंदगी के अनुभवों और आध्यात्मिकता के निष्पक्ष नज़रिये के संगम के मेल से तो कभी ये गहराई मे ले जाएगी तो कभी बेहद सोचने पर मजबूर करदेगी ये पुस्तक मे कविताये आपके दिल और दिमाग़ पर एक गहरा प्रभाव छोड़ेगी
1148030097
सीमित से असीमित की ओर
सीमित से असीमित की ओर'' शीर्षक इस पुस्तक का यह दर्शाता है कि हर एक कविता कैसे हर एक परिस्थिति को हर एक दिशा से देखने की कोशिश करती है कैसे हर एक कविता सोचने पर मजबूर करती है और दिखाती है की बुद्धि को सीमा मे रखकर कभी - कभी हम चीजो का एक अपना नज़रिया बना लेते है जिसके कारण से हम चीज़ो की, लोगो की और संसार की भिन्नताओं को ख़ूबसूरती के रूप मे ना देखकर हीन भावना से देखने लगते है ये सारी कविताये प्रेरित है जिंदगी के अनुभवों और आध्यात्मिकता के निष्पक्ष नज़रिये के संगम के मेल से तो कभी ये गहराई मे ले जाएगी तो कभी बेहद सोचने पर मजबूर करदेगी ये पुस्तक मे कविताये आपके दिल और दिमाग़ पर एक गहरा प्रभाव छोड़ेगी
10.0 In Stock
सीमित से असीमित की ओर

सीमित से असीमित की ओर

by Deependra Srivastava
सीमित से असीमित की ओर

सीमित से असीमित की ओर

by Deependra Srivastava

Paperback

$10.00 
  • SHIP THIS ITEM
    In stock. Ships in 1-2 days.
  • PICK UP IN STORE

    Your local store may have stock of this item.

Related collections and offers


Overview

सीमित से असीमित की ओर'' शीर्षक इस पुस्तक का यह दर्शाता है कि हर एक कविता कैसे हर एक परिस्थिति को हर एक दिशा से देखने की कोशिश करती है कैसे हर एक कविता सोचने पर मजबूर करती है और दिखाती है की बुद्धि को सीमा मे रखकर कभी - कभी हम चीजो का एक अपना नज़रिया बना लेते है जिसके कारण से हम चीज़ो की, लोगो की और संसार की भिन्नताओं को ख़ूबसूरती के रूप मे ना देखकर हीन भावना से देखने लगते है ये सारी कविताये प्रेरित है जिंदगी के अनुभवों और आध्यात्मिकता के निष्पक्ष नज़रिये के संगम के मेल से तो कभी ये गहराई मे ले जाएगी तो कभी बेहद सोचने पर मजबूर करदेगी ये पुस्तक मे कविताये आपके दिल और दिमाग़ पर एक गहरा प्रभाव छोड़ेगी

Product Details

ISBN-13: 9789363312562
Publisher: Bookleaf Publishing
Publication date: 09/20/2024
Pages: 100
Product dimensions: 5.00(w) x 8.00(h) x 0.21(d)
Language: Hindi

About the Author

दीपेन्द्र एक अन्वेषक किस्म के व्यक्तित्व हैं, जिनमें जीवन और जीवन की स्थितियों को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने की जिज्ञासा है। उनका मानना ​​है कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण ही निष्पक्ष दृष्टिकोण है। वह इसलिए नहीं लिखते क्योंकि उन्हें इस बारे में जुनून है बल्कि वह चीजों को व्यक्त करने के लिए लिखते हैं और प्यार से दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं। उनका मानना ​​है कि आध्यात्मिकता का सार केवल सच्चे गुरु द्वारा ही समझा जा सकता है। उनका यह भी मानना ​​है कि आध्यात्मिकता हमारे सच्चे स्व को समझने और यह बंदर दिमाग कैसे काम करता है, इसे समझने के बारे में है। वह आमतौर पर सार्वजनिक इंस्टाग्राम पेज मिक्स पोएट्रीज़ पर अपनी रचनाएँ ऑनलाइन पोस्ट करते हैं, जहाँ आप उनके द्वारा लिखी गई ऐसी कई ईमानदार रचनाएँ पा सकते हैं।
From the B&N Reads Blog

Customer Reviews