सुगन्ध
""मैं ज़रा अपने अजीज़ों की कुछ दुआ पाऊँ, अपना दिल खोल तो मैं अपने शहर जा पाऊँ मेरे मैखाने मैं आ बैठा है इक और मरीज़, बस इतना प्यार से कह दे तो मैं जगह पाऊँ !"" यह काव्य-संग्रह केवल कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक आत्मीय यात्रा है-हृदय के सबसे कोमल कोनों से निकलकर पन्नों पर उतरती हुई। इसमें वे भाव हैं जो हमने कभी जिये, वे पल हैं जिन्हें शब्द देने की हिम्मत जुटाई, और वे अनुभूतियाँ हैं जो अक्सर मौन रह जाती हैं। इस संग्रह की हर रचना मेरे निजी अनुभवों, स्मृतियों और संबंधों से उपजी है, लेकिन जब आप इन्हें पढ़ेंगे, तो शायद इनमें अपने भावों की प्रतिध्वनि भी पाएँगे।
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सुगन्ध
""मैं ज़रा अपने अजीज़ों की कुछ दुआ पाऊँ, अपना दिल खोल तो मैं अपने शहर जा पाऊँ मेरे मैखाने मैं आ बैठा है इक और मरीज़, बस इतना प्यार से कह दे तो मैं जगह पाऊँ !"" यह काव्य-संग्रह केवल कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि एक आत्मीय यात्रा है-हृदय के सबसे कोमल कोनों से निकलकर पन्नों पर उतरती हुई। इसमें वे भाव हैं जो हमने कभी जिये, वे पल हैं जिन्हें शब्द देने की हिम्मत जुटाई, और वे अनुभूतियाँ हैं जो अक्सर मौन रह जाती हैं। इस संग्रह की हर रचना मेरे निजी अनुभवों, स्मृतियों और संबंधों से उपजी है, लेकिन जब आप इन्हें पढ़ेंगे, तो शायद इनमें अपने भावों की प्रतिध्वनि भी पाएँगे।
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Product Details
ISBN-13: | 9789372132502 |
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Publisher: | Bookleaf Publishing |
Publication date: | 08/30/2025 |
Pages: | 36 |
Product dimensions: | 5.00(w) x 8.00(h) x 0.07(d) |
Language: | Hindi |
About the Author
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