प्रवीण दुबे.....पेशे से पत्रकार.......पत्रकारिता के 26 बरस में अखबार टेलीविज़न और डिजीटल, हर प्लेटफॉर्म का गहरा तजुर्बा.... पत्रकारिता के इतर भी संवेदना को छूने वाले हर विषय पर देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन............टेलीविज़न में भी सामाजिक मुद्दों को उठाने के साथ उन्हे अंजाम तक पहुंचाने की ज़िद......कहते हैं कि पत्रकारिता हडबडी में लिखा गया साहित्य है.. लेकिन ये उपन्यास उन्होंने हड़बड़ी में नहीं बल्कि सालों-साल एक अंग्रेज की परित्यक्ता आदिवासी पत्नी से संवाद के बाद लिखा है.. एक अधेढ़ अंग्रेज की लगभग दैहिक गुलामी जैसे रिश्तों के बाद सबंधों की टूटन उसके बदन पर तिल की तरह आजीवन साथ रह गई.. उसी आदिवासी महिला के दर्द को स्वर देने का प्रयास इस उपन्यास के ज़रिए आत्मकथात्मक शैली में किया गया है पाठकों के बीच पहुंच रही प्रवीण दुबे की पहली किताब भी शोध, संवेदना और सरोकार पत्रकारिता के तय मापदंडों को पूरा करती हुई.....
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प्रवीण दुबे.....पेशे से पत्रकार.......पत्रकारिता के 26 बरस में अखबार टेलीविज़न और डिजीटल, हर प्लेटफॉर्म का गहरा तजुर्बा.... पत्रकारिता के इतर भी संवेदना को छूने वाले हर विषय पर देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर लेखन............टेलीविज़न में भी सामाजिक मुद्दों को उठाने के साथ उन्हे अंजाम तक पहुंचाने की ज़िद......कहते हैं कि पत्रकारिता हडबडी में लिखा गया साहित्य है.. लेकिन ये उपन्यास उन्होंने हड़बड़ी में नहीं बल्कि सालों-साल एक अंग्रेज की परित्यक्ता आदिवासी पत्नी से संवाद के बाद लिखा है.. एक अधेढ़ अंग्रेज की लगभग दैहिक गुलामी जैसे रिश्तों के बाद सबंधों की टूटन उसके बदन पर तिल की तरह आजीवन साथ रह गई.. उसी आदिवासी महिला के दर्द को स्वर देने का प्रयास इस उपन्यास के ज़रिए आत्मकथात्मक शैली में किया गया है पाठकों के बीच पहुंच रही प्रवीण दुबे की पहली किताब भी शोध, संवेदना और सरोकार पत्रकारिता के तय मापदंडों को पूरा करती हुई.....
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Product Details
ISBN-13: | 9789390500680 |
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Publisher: | Jvp Publication Pvt Ltd |
Publication date: | 02/17/2021 |
Pages: | 130 |
Product dimensions: | 5.50(w) x 8.50(h) x 0.28(d) |
Language: | Hindi |
From the B&N Reads Blog