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वीरेंद्र मिनोचा मैंने स्नातक के दिनों में 'वीर अर्जुन' समाचार पत्र में 'चित्कार की प्रतिध्वनि' नामक कविता प्रकाशित की थी और अपने करियर के दौरान समय-समय पर 'ऑल इंडिया रेडियो' पर 'अभिव्यक्ति' नामक हिंदी कार्यक्रम और 'एक्सप्रेशन' नामक अंग्रेजी कार्यक्रम में रिकॉर्डिंग भी करवाई थी। मुझे समय-समय पर अपने और अपने दर्शकों के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों तरह की कविताएँ लिखने में रुचि रही है। स्नातक के दिनों और बचपन में मुझे चित्र बनाने का भी शौक था। मैंने बचपन में 'नैरोबी' और 'लंदन' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और वाणिज्य पाठ्यक्रम के साथ 'पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़' से स्नातक किया। मैंने जुलाई 1984 से 'विदेश मंत्रालय' में काम किया। मुझे छह पोस्टिंग में स्थानांतरित किया गया। इस दौरान मैंने भारतीय दूतावासों/भारत के उच्चायोगों में विभिन्न राजदूतों के साथ काम किया। मेरी पहली पोस्टिंग तेहरान से शुरू हुई, उसके बाद पेरिस, जकार्ता, कराकास (वेनेजुएला), अंकारा में हुई। मेरी आखिरी पोस्टिंग भारतीय उच्चायोग दार-ए-सलाम (तंजानिया) में हुई थी। 34 साल के कार्यकाल के दौरान मुझे विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। मैं जुलाई 2020 में सेवानिवृत्त हो गया और अब मैं सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूँ। हिंदी और अंग्रेज़ी कविताएँ और लेख लिखने के अपने शौक को पूरा कर रहा हूँ।
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वीरेंद्र मिनोचा मैंने स्नातक के दिनों में 'वीर अर्जुन' समाचार पत्र में 'चित्कार की प्रतिध्वनि' नामक कविता प्रकाशित की थी और अपने करियर के दौरान समय-समय पर 'ऑल इंडिया रेडियो' पर 'अभिव्यक्ति' नामक हिंदी कार्यक्रम और 'एक्सप्रेशन' नामक अंग्रेजी कार्यक्रम में रिकॉर्डिंग भी करवाई थी। मुझे समय-समय पर अपने और अपने दर्शकों के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों तरह की कविताएँ लिखने में रुचि रही है। स्नातक के दिनों और बचपन में मुझे चित्र बनाने का भी शौक था। मैंने बचपन में 'नैरोबी' और 'लंदन' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और वाणिज्य पाठ्यक्रम के साथ 'पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़' से स्नातक किया। मैंने जुलाई 1984 से 'विदेश मंत्रालय' में काम किया। मुझे छह पोस्टिंग में स्थानांतरित किया गया। इस दौरान मैंने भारतीय दूतावासों/भारत के उच्चायोगों में विभिन्न राजदूतों के साथ काम किया। मेरी पहली पोस्टिंग तेहरान से शुरू हुई, उसके बाद पेरिस, जकार्ता, कराकास (वेनेजुएला), अंकारा में हुई। मेरी आखिरी पोस्टिंग भारतीय उच्चायोग दार-ए-सलाम (तंजानिया) में हुई थी। 34 साल के कार्यकाल के दौरान मुझे विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। मैं जुलाई 2020 में सेवानिवृत्त हो गया और अब मैं सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूँ। हिंदी और अंग्रेज़ी कविताएँ और लेख लिखने के अपने शौक को पूरा कर रहा हूँ।
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by Virender Minocha
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वीरेंद्र मिनोचा मैंने स्नातक के दिनों में 'वीर अर्जुन' समाचार पत्र में 'चित्कार की प्रतिध्वनि' नामक कविता प्रकाशित की थी और अपने करियर के दौरान समय-समय पर 'ऑल इंडिया रेडियो' पर 'अभिव्यक्ति' नामक हिंदी कार्यक्रम और 'एक्सप्रेशन' नामक अंग्रेजी कार्यक्रम में रिकॉर्डिंग भी करवाई थी। मुझे समय-समय पर अपने और अपने दर्शकों के लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों तरह की कविताएँ लिखने में रुचि रही है। स्नातक के दिनों और बचपन में मुझे चित्र बनाने का भी शौक था। मैंने बचपन में 'नैरोबी' और 'लंदन' से स्कूली शिक्षा प्राप्त की और वाणिज्य पाठ्यक्रम के साथ 'पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़' से स्नातक किया। मैंने जुलाई 1984 से 'विदेश मंत्रालय' में काम किया। मुझे छह पोस्टिंग में स्थानांतरित किया गया। इस दौरान मैंने भारतीय दूतावासों/भारत के उच्चायोगों में विभिन्न राजदूतों के साथ काम किया। मेरी पहली पोस्टिंग तेहरान से शुरू हुई, उसके बाद पेरिस, जकार्ता, कराकास (वेनेजुएला), अंकारा में हुई। मेरी आखिरी पोस्टिंग भारतीय उच्चायोग दार-ए-सलाम (तंजानिया) में हुई थी। 34 साल के कार्यकाल के दौरान मुझे विभिन्न क्षेत्रों में अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ। मैं जुलाई 2020 में सेवानिवृत्त हो गया और अब मैं सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूँ। हिंदी और अंग्रेज़ी कविताएँ और लेख लिखने के अपने शौक को पूरा कर रहा हूँ।

Product Details

ISBN-13: 9789358697025
Publisher: Pralek Prakashan
Publication date: 02/09/2025
Pages: 144
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.34(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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