Antriksh Main Badhte Kadam Shubhanshu Shukla (अंतरिक्ष में बढ़ते कदम शुभांशु शुक्&
क्या तुमने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में लोग कैसे रहते हैं? वे खाते कैसे हैं, सोते कैसे हैं, और बिना गुरुत्वाकर्षण के चीजें कैसे काम करती हैं? अगर तुम्हें भी इन प्रश्नों के उत्तर जानने की जिज्ञासा है, तो यह पुस्तक तुम्हारे लिए है।
यह पुस्तक भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की जीवनी पर आधारित है, जिन्होंने 25 जून से 15 जुलाई 2025 तक अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने वहां रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, अनुभव साझा किए और यह सिद्ध किया कि खुले आसमान में भी भारतीय प्रतिभा अपना परचम लहरा सकती है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि जब कोई अंतरिक्ष में जाता है तो उसका वजन क्यों कम हो जाता है, वह कैसे बिना जमीन के तैरता रहता है, और बिना बिस्तर के हवा में ही सो सकता है। इन सारे अनुभवों को एक बेहद सरल, रोचक और ज्ञानवर्धक भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे बच्चे और युवा दोनों ही प्रेरित होंगे।
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यह पुस्तक भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की जीवनी पर आधारित है, जिन्होंने 25 जून से 15 जुलाई 2025 तक अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने वहां रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, अनुभव साझा किए और यह सिद्ध किया कि खुले आसमान में भी भारतीय प्रतिभा अपना परचम लहरा सकती है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि जब कोई अंतरिक्ष में जाता है तो उसका वजन क्यों कम हो जाता है, वह कैसे बिना जमीन के तैरता रहता है, और बिना बिस्तर के हवा में ही सो सकता है। इन सारे अनुभवों को एक बेहद सरल, रोचक और ज्ञानवर्धक भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे बच्चे और युवा दोनों ही प्रेरित होंगे।
Antriksh Main Badhte Kadam Shubhanshu Shukla (अंतरिक्ष में बढ़ते कदम शुभांशु शुक्&
क्या तुमने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में लोग कैसे रहते हैं? वे खाते कैसे हैं, सोते कैसे हैं, और बिना गुरुत्वाकर्षण के चीजें कैसे काम करती हैं? अगर तुम्हें भी इन प्रश्नों के उत्तर जानने की जिज्ञासा है, तो यह पुस्तक तुम्हारे लिए है।
यह पुस्तक भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की जीवनी पर आधारित है, जिन्होंने 25 जून से 15 जुलाई 2025 तक अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने वहां रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, अनुभव साझा किए और यह सिद्ध किया कि खुले आसमान में भी भारतीय प्रतिभा अपना परचम लहरा सकती है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि जब कोई अंतरिक्ष में जाता है तो उसका वजन क्यों कम हो जाता है, वह कैसे बिना जमीन के तैरता रहता है, और बिना बिस्तर के हवा में ही सो सकता है। इन सारे अनुभवों को एक बेहद सरल, रोचक और ज्ञानवर्धक भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे बच्चे और युवा दोनों ही प्रेरित होंगे।
यह पुस्तक भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की जीवनी पर आधारित है, जिन्होंने 25 जून से 15 जुलाई 2025 तक अंतरर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में रहकर भारत का गौरव बढ़ाया। उन्होंने वहां रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, अनुभव साझा किए और यह सिद्ध किया कि खुले आसमान में भी भारतीय प्रतिभा अपना परचम लहरा सकती है।
पुस्तक में यह भी बताया गया है कि जब कोई अंतरिक्ष में जाता है तो उसका वजन क्यों कम हो जाता है, वह कैसे बिना जमीन के तैरता रहता है, और बिना बिस्तर के हवा में ही सो सकता है। इन सारे अनुभवों को एक बेहद सरल, रोचक और ज्ञानवर्धक भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे बच्चे और युवा दोनों ही प्रेरित होंगे।
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Antriksh Main Badhte Kadam Shubhanshu Shukla (अंतरिक्ष में बढ़ते कदम शुभांशु शुक्&
50
Antriksh Main Badhte Kadam Shubhanshu Shukla (अंतरिक्ष में बढ़ते कदम शुभांशु शुक्&
50Paperback
$8.99
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Product Details
ISBN-13: | 9789371222297 |
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Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
Publication date: | 08/02/2025 |
Pages: | 50 |
Product dimensions: | 5.50(w) x 8.50(h) x 0.12(d) |
Language: | Hindi |
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