Apna Khoon
विक्रम सिंह का उपन्यास 'अपना खून' पहाड़ी जीवन का मार्मिक पक्ष हमारे सामने लाती है। यह उपन्यास, पहाड़ी लोगों की भूख, गरीबी, और उनकी तमाम लाचारियों के साथ-साथ वहां के लोगों की सादगी और अपार सुंदरता को बहुत सहजता से चित्रित करते हुए आगे बढ़ती है । इस क्रम में बेमेल विवाह, बेरोजगारी और पहाड़ से लोगों के पलायन जैसे बड़े विमर्शों को बिना किसी लाग-लपेट के उपन्यासकार ने विविध रूपों में अंकित किया है। विक्रम सिंह अच्छे किस्सागो हैं। अपनी धरती और अपने पहाड़ से जुड़कर लिख रहे हैं।
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Apna Khoon
विक्रम सिंह का उपन्यास 'अपना खून' पहाड़ी जीवन का मार्मिक पक्ष हमारे सामने लाती है। यह उपन्यास, पहाड़ी लोगों की भूख, गरीबी, और उनकी तमाम लाचारियों के साथ-साथ वहां के लोगों की सादगी और अपार सुंदरता को बहुत सहजता से चित्रित करते हुए आगे बढ़ती है । इस क्रम में बेमेल विवाह, बेरोजगारी और पहाड़ से लोगों के पलायन जैसे बड़े विमर्शों को बिना किसी लाग-लपेट के उपन्यासकार ने विविध रूपों में अंकित किया है। विक्रम सिंह अच्छे किस्सागो हैं। अपनी धरती और अपने पहाड़ से जुड़कर लिख रहे हैं।
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Apna Khoon

Apna Khoon

by Vikram Singh
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by Vikram Singh

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Overview

विक्रम सिंह का उपन्यास 'अपना खून' पहाड़ी जीवन का मार्मिक पक्ष हमारे सामने लाती है। यह उपन्यास, पहाड़ी लोगों की भूख, गरीबी, और उनकी तमाम लाचारियों के साथ-साथ वहां के लोगों की सादगी और अपार सुंदरता को बहुत सहजता से चित्रित करते हुए आगे बढ़ती है । इस क्रम में बेमेल विवाह, बेरोजगारी और पहाड़ से लोगों के पलायन जैसे बड़े विमर्शों को बिना किसी लाग-लपेट के उपन्यासकार ने विविध रूपों में अंकित किया है। विक्रम सिंह अच्छे किस्सागो हैं। अपनी धरती और अपने पहाड़ से जुड़कर लिख रहे हैं।

Product Details

ISBN-13: 9788194652687
Publisher: Jvp Publication Pvt. Ltd.
Publication date: 07/21/2020
Pages: 120
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.28(d)
Language: Hindi
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