Aur In Sab Ke Bich
युवा कवि नेहल शाह की कविताओं में स्त्री-विमर्श एक आंतरिक विद्रोह के संकल्प के साथ मुखरित होता है। यूँ तो विद्रोह आधुनिक परिप्रेक्ष्य में हर स्त्री-विमर्श का सहज बल्कि अनिवार्य अंग है लेकिन नेहल की कोशिश हर स्तर पर उसे अराजक होने से बचाने की होती है। मुखर होने की कोशिश में अराजक होना बहुत संभव है लेकिन ऐसी संभावनाओं का अंत तभी संभव होता है जब आप निषेध का तापमान नियंत्रित रख सकें। अब नेहल यह इसलिए कर पाई कि वह स्त्री देह और मन दोनों की केमिस्ट्री से जूझने की पुरजोर कोशिश करती हैं
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Aur In Sab Ke Bich
युवा कवि नेहल शाह की कविताओं में स्त्री-विमर्श एक आंतरिक विद्रोह के संकल्प के साथ मुखरित होता है। यूँ तो विद्रोह आधुनिक परिप्रेक्ष्य में हर स्त्री-विमर्श का सहज बल्कि अनिवार्य अंग है लेकिन नेहल की कोशिश हर स्तर पर उसे अराजक होने से बचाने की होती है। मुखर होने की कोशिश में अराजक होना बहुत संभव है लेकिन ऐसी संभावनाओं का अंत तभी संभव होता है जब आप निषेध का तापमान नियंत्रित रख सकें। अब नेहल यह इसलिए कर पाई कि वह स्त्री देह और मन दोनों की केमिस्ट्री से जूझने की पुरजोर कोशिश करती हैं
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Aur In Sab Ke Bich

by Nehal Shah
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by Nehal Shah

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Overview

युवा कवि नेहल शाह की कविताओं में स्त्री-विमर्श एक आंतरिक विद्रोह के संकल्प के साथ मुखरित होता है। यूँ तो विद्रोह आधुनिक परिप्रेक्ष्य में हर स्त्री-विमर्श का सहज बल्कि अनिवार्य अंग है लेकिन नेहल की कोशिश हर स्तर पर उसे अराजक होने से बचाने की होती है। मुखर होने की कोशिश में अराजक होना बहुत संभव है लेकिन ऐसी संभावनाओं का अंत तभी संभव होता है जब आप निषेध का तापमान नियंत्रित रख सकें। अब नेहल यह इसलिए कर पाई कि वह स्त्री देह और मन दोनों की केमिस्ट्री से जूझने की पुरजोर कोशिश करती हैं

Product Details

ISBN-13: 9789356825680
Publisher: Prabhakar Prakashan
Publication date: 01/16/2025
Pages: 150
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.35(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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