Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan
मेरा आदर्श अवश्य ही बहुत कम शब्दों में कहा जा सकता है और वह है-मनुष्य-जाति को उसके दिव्य स्वरूप का उपदेश देना तथा जीवन के हर क्षेन में उसे अभिव्यक्त करने का उपाय बताना। यह संसार अंधविश्वासों की जंजीरों से जकड़ा हुआ है। जो अत्याचार से दबे हुए है, चाहे वे पुरुष हों या स्ली, मैं उन पर दया करता है, किंतु अत्याचारियों के लिए भी मेरे अंद्र करुणा है। एक बात जो मैं सूर्य के प्रकाश के समान स्पष्ट देखता हूँ, वह यह कि अज्ञान ही दुःख का कारण है अन्य कुछ नहीं। संसार को प्रकाश कौन देगा ? बलिदान भूतकाल से नियम रहा है और हाय! युगों तक इसे रहना है। संसार के वीरों को और सर्वश्रेष्ठों को 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय अपना बलिदान करना होगा। असीम दया और प्रेम से ओत-प्रोत सैकड़ों बुद्धों की आवश्यकता है। संसार के धर्म प्राणहीन परिहास की वस्तु हो गए हैं। संसार को जिस वस्तु की आवश्यकता है, वह है चरित। दुनिया को ऐसे लोग चाहिए, जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक-एक शब्द को वज्र के समान प्रभावशाली बना देगा। मेरी दृढ़ धारणा है कि तुममें अंधविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति मौजूद है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे-धीरे और भी अन्य लोग आएँगे। 'साहसी' शब्द और उससे अधिक 'साहसी' कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो ! उठो ! दुनिया दुःख से जल रही है। क्या तुम सो सकती हो? हम बार-बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता जाग न उठें, जब तक अंतर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है? इससे महान कर्म क्या है? चलते चलते मुझे भेद प्रभेद सहित सब बातें ज्ञात हो जाती हैं। मैं उपाय कभी नहीं सोचता। कार्य-संकल्प का अभ्युदय अपने आप होता है और वह अपने जल से ही पुष्ट होता है। मैं केवल कहता है, जागो, जागो !
1146950629
Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan
मेरा आदर्श अवश्य ही बहुत कम शब्दों में कहा जा सकता है और वह है-मनुष्य-जाति को उसके दिव्य स्वरूप का उपदेश देना तथा जीवन के हर क्षेन में उसे अभिव्यक्त करने का उपाय बताना। यह संसार अंधविश्वासों की जंजीरों से जकड़ा हुआ है। जो अत्याचार से दबे हुए है, चाहे वे पुरुष हों या स्ली, मैं उन पर दया करता है, किंतु अत्याचारियों के लिए भी मेरे अंद्र करुणा है। एक बात जो मैं सूर्य के प्रकाश के समान स्पष्ट देखता हूँ, वह यह कि अज्ञान ही दुःख का कारण है अन्य कुछ नहीं। संसार को प्रकाश कौन देगा ? बलिदान भूतकाल से नियम रहा है और हाय! युगों तक इसे रहना है। संसार के वीरों को और सर्वश्रेष्ठों को 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय अपना बलिदान करना होगा। असीम दया और प्रेम से ओत-प्रोत सैकड़ों बुद्धों की आवश्यकता है। संसार के धर्म प्राणहीन परिहास की वस्तु हो गए हैं। संसार को जिस वस्तु की आवश्यकता है, वह है चरित। दुनिया को ऐसे लोग चाहिए, जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक-एक शब्द को वज्र के समान प्रभावशाली बना देगा। मेरी दृढ़ धारणा है कि तुममें अंधविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति मौजूद है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे-धीरे और भी अन्य लोग आएँगे। 'साहसी' शब्द और उससे अधिक 'साहसी' कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो ! उठो ! दुनिया दुःख से जल रही है। क्या तुम सो सकती हो? हम बार-बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता जाग न उठें, जब तक अंतर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है? इससे महान कर्म क्या है? चलते चलते मुझे भेद प्रभेद सहित सब बातें ज्ञात हो जाती हैं। मैं उपाय कभी नहीं सोचता। कार्य-संकल्प का अभ्युदय अपने आप होता है और वह अपने जल से ही पुष्ट होता है। मैं केवल कहता है, जागो, जागो !
14.99 In Stock
Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan

Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan

by Swami Vivekanand
Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan

Dhyan Ewam Uski Vidhiyan Tatha Man Ki Shaktiyan

by Swami Vivekanand

Paperback

$14.99 
  • SHIP THIS ITEM
    In stock. Ships in 1-2 days.
  • PICK UP IN STORE

    Your local store may have stock of this item.

Related collections and offers


Overview

मेरा आदर्श अवश्य ही बहुत कम शब्दों में कहा जा सकता है और वह है-मनुष्य-जाति को उसके दिव्य स्वरूप का उपदेश देना तथा जीवन के हर क्षेन में उसे अभिव्यक्त करने का उपाय बताना। यह संसार अंधविश्वासों की जंजीरों से जकड़ा हुआ है। जो अत्याचार से दबे हुए है, चाहे वे पुरुष हों या स्ली, मैं उन पर दया करता है, किंतु अत्याचारियों के लिए भी मेरे अंद्र करुणा है। एक बात जो मैं सूर्य के प्रकाश के समान स्पष्ट देखता हूँ, वह यह कि अज्ञान ही दुःख का कारण है अन्य कुछ नहीं। संसार को प्रकाश कौन देगा ? बलिदान भूतकाल से नियम रहा है और हाय! युगों तक इसे रहना है। संसार के वीरों को और सर्वश्रेष्ठों को 'बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय अपना बलिदान करना होगा। असीम दया और प्रेम से ओत-प्रोत सैकड़ों बुद्धों की आवश्यकता है। संसार के धर्म प्राणहीन परिहास की वस्तु हो गए हैं। संसार को जिस वस्तु की आवश्यकता है, वह है चरित। दुनिया को ऐसे लोग चाहिए, जिनका जीवन स्वार्थहीन ज्वलंत प्रेम का उदाहरण है। वह प्रेम एक-एक शब्द को वज्र के समान प्रभावशाली बना देगा। मेरी दृढ़ धारणा है कि तुममें अंधविश्वास नहीं है। तुममें वह शक्ति मौजूद है, जो संसार को हिला सकती है, धीरे-धीरे और भी अन्य लोग आएँगे। 'साहसी' शब्द और उससे अधिक 'साहसी' कर्मों की हमें आवश्यकता है। उठो ! उठो ! दुनिया दुःख से जल रही है। क्या तुम सो सकती हो? हम बार-बार पुकारें, जब तक सोते हुए देवता जाग न उठें, जब तक अंतर्यामी देव उस पुकार का उत्तर न दें। जीवन में और क्या है? इससे महान कर्म क्या है? चलते चलते मुझे भेद प्रभेद सहित सब बातें ज्ञात हो जाती हैं। मैं उपाय कभी नहीं सोचता। कार्य-संकल्प का अभ्युदय अपने आप होता है और वह अपने जल से ही पुष्ट होता है। मैं केवल कहता है, जागो, जागो !

Product Details

ISBN-13: 9789367936924
Publisher: Prabhakar Prakashan Private Limited
Publication date: 01/16/2025
Pages: 194
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.45(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

Customer Reviews