Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया)
अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। अहिंसा--वह परिणाम है, हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह--वह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य--वह परिणाम है, चौर्य, चोरी स्थिति है। अकाम--वह परिणाम है, काम, वासना, कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है--अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण।
प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बेहोशी में हो रही हो। तो बस, आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।
ओशो
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प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बेहोशी में हो रही हो। तो बस, आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।
ओशो
Jyun Ki Tyun Dhari Deenhi Chadariya (ज्यों की त्यों धरि दीन्हीं चदरिया)
अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। अहिंसा--वह परिणाम है, हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह--वह परिणाम है, परिग्रह स्थिति है। अचौर्य--वह परिणाम है, चौर्य, चोरी स्थिति है। अकाम--वह परिणाम है, काम, वासना, कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है, वह है--अप्रमाद, अवेयरनेस, रिमेंबरिंग, स्मरण।
प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बेहोशी में हो रही हो। तो बस, आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।
ओशो
प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बेहोशी में हो रही हो। तो बस, आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।
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Product Details
ISBN-13: | 9789355991300 |
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Publisher: | Diamond Pocket Books Pvt Ltd |
Publication date: | 04/03/2024 |
Pages: | 328 |
Product dimensions: | 5.50(w) x 8.50(h) x 0.88(d) |
Language: | Hindi |
From the B&N Reads Blog