Kuchh Nikat Se Kuchh Door Se (कुछ निकट से कुछ दूर से)
प्रस्तुत पुस्तक में अनेक संपादकों पर भी लेख हैं जिनसे हिमांशु जोशीजी मिले। जिनमें रामानन्द 'दोषी', राजेन्द्र शर्मा, महावीर अधिकारी, भवानीप्रसाद मिश्र, रामचन्द्र तिवारी आदि भी हैं।
इन दुर्लभ लेखों को संग्रहित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना ही मात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि इन गुमनाम यशस्वियों के बारे में बताना जरूरी था जो समय की आंधी में कहीं खो गए हैं। आज इनमें से अधिकांश के नाम और कार्यों के विषय में लोग नहीं जानते। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहें इसे।
हिमांशुजी ने सैंकड़ों लेख लिखे और साक्षात्कार भी लिए अपनी पत्रकारिता के दौरान। आज यह कुछ दुर्लभ लेख हैं पाठकों के सामने । आशा ही नहीं, विश्वास भी है कि हिमांशु जोशीजी के लोकप्रिय उपन्यासों और कहानियों की तरह लेखों का संग्रह भी पसंद आएगा पाठकों को ।
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Kuchh Nikat Se Kuchh Door Se (कुछ निकट से कुछ दूर से)
प्रस्तुत पुस्तक में अनेक संपादकों पर भी लेख हैं जिनसे हिमांशु जोशीजी मिले। जिनमें रामानन्द 'दोषी', राजेन्द्र शर्मा, महावीर अधिकारी, भवानीप्रसाद मिश्र, रामचन्द्र तिवारी आदि भी हैं।
इन दुर्लभ लेखों को संग्रहित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना ही मात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि इन गुमनाम यशस्वियों के बारे में बताना जरूरी था जो समय की आंधी में कहीं खो गए हैं। आज इनमें से अधिकांश के नाम और कार्यों के विषय में लोग नहीं जानते। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहें इसे।
हिमांशुजी ने सैंकड़ों लेख लिखे और साक्षात्कार भी लिए अपनी पत्रकारिता के दौरान। आज यह कुछ दुर्लभ लेख हैं पाठकों के सामने । आशा ही नहीं, विश्वास भी है कि हिमांशु जोशीजी के लोकप्रिय उपन्यासों और कहानियों की तरह लेखों का संग्रह भी पसंद आएगा पाठकों को ।
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Kuchh Nikat Se Kuchh Door Se (कुछ निकट से कुछ दूर से)

by Himanshu Joshi
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Kuchh Nikat Se Kuchh Door Se (कुछ निकट से कुछ दूर से)

by Himanshu Joshi

Hardcover

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Overview

प्रस्तुत पुस्तक में अनेक संपादकों पर भी लेख हैं जिनसे हिमांशु जोशीजी मिले। जिनमें रामानन्द 'दोषी', राजेन्द्र शर्मा, महावीर अधिकारी, भवानीप्रसाद मिश्र, रामचन्द्र तिवारी आदि भी हैं।
इन दुर्लभ लेखों को संग्रहित कर एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करना ही मात्र उद्देश्य नहीं है, बल्कि इन गुमनाम यशस्वियों के बारे में बताना जरूरी था जो समय की आंधी में कहीं खो गए हैं। आज इनमें से अधिकांश के नाम और कार्यों के विषय में लोग नहीं जानते। यह हमारे समाज का दुर्भाग्य नहीं तो क्या कहें इसे।
हिमांशुजी ने सैंकड़ों लेख लिखे और साक्षात्कार भी लिए अपनी पत्रकारिता के दौरान। आज यह कुछ दुर्लभ लेख हैं पाठकों के सामने । आशा ही नहीं, विश्वास भी है कि हिमांशु जोशीजी के लोकप्रिय उपन्यासों और कहानियों की तरह लेखों का संग्रह भी पसंद आएगा पाठकों को ।

Product Details

ISBN-13: 9789363184459
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication date: 09/27/2024
Pages: 106
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.38(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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