Rambahadur Rai: Chintan Ke Aayam
भारत ऋषि-महर्षियों का देश है। हमारे देश में अलग-अलग समय में अलग-अलग विषयों के और ज्ञान परंपराओं के ऐसे ऋषि-महर्षि हुए हैं जिन्होंने अपनी मेधा और साधना से समाज का ज्ञान मार्ग प्रशस्त किया है। आधुनिक युग में भी ऐसी ऋषि परंपरा के साक्षात्कार हमें कदाचित होते रहते हैं। ऐसी ही ऋषि परंपरा की एक कड़ी हैं श्री रामबहादुर राय, जिन्होंने पत्रकारिता, संचारशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, संविधान, संस्कृति, इतिहास तथा भारत बोध जैसे अनेक विषयों पर सतत अध्ययन, चिंतन और लेखन किया है और इन विषयों में सार्थक संवाद का सूत्रपात किया है। उन्होंने अपनी ज्ञान आराधना तथा अध्ययन क्षमता से समाज का मार्गदर्शन किया है। श्री रामबहादुर राय के बहुआयामी व्यक्तित्व को समाज के संज्ञान में लाकर उन्हें प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य निस्संदेह प्रशंसनीय है, जिसे प्रो. कृपाशंकर चौबे ने किया है। श्री रामबहादुर राय अपने जीवंत जमीनी संपर्क के कारण अत्यंत लोकप्रिय हैं। उनका व्यापक लोक संग्रह नया उनके अनुगामियों की विशाल संख्या बताती है कि आज भी समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो उनका अनुगामी बनने की प्रत्याशा रखते हैं और यह भविष्य के लिए शुभ संकेत है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक ऐसे अनेक युवाओं के लिए श्रेष्ठ संदर्भ और प्रेरणा साबित होगी जो राय साहब जैसा बनना चाहते हैं। -डॉ. सच्चिदानंद जोशी
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Rambahadur Rai: Chintan Ke Aayam
भारत ऋषि-महर्षियों का देश है। हमारे देश में अलग-अलग समय में अलग-अलग विषयों के और ज्ञान परंपराओं के ऐसे ऋषि-महर्षि हुए हैं जिन्होंने अपनी मेधा और साधना से समाज का ज्ञान मार्ग प्रशस्त किया है। आधुनिक युग में भी ऐसी ऋषि परंपरा के साक्षात्कार हमें कदाचित होते रहते हैं। ऐसी ही ऋषि परंपरा की एक कड़ी हैं श्री रामबहादुर राय, जिन्होंने पत्रकारिता, संचारशास्त्र, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, संविधान, संस्कृति, इतिहास तथा भारत बोध जैसे अनेक विषयों पर सतत अध्ययन, चिंतन और लेखन किया है और इन विषयों में सार्थक संवाद का सूत्रपात किया है। उन्होंने अपनी ज्ञान आराधना तथा अध्ययन क्षमता से समाज का मार्गदर्शन किया है। श्री रामबहादुर राय के बहुआयामी व्यक्तित्व को समाज के संज्ञान में लाकर उन्हें प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य निस्संदेह प्रशंसनीय है, जिसे प्रो. कृपाशंकर चौबे ने किया है। श्री रामबहादुर राय अपने जीवंत जमीनी संपर्क के कारण अत्यंत लोकप्रिय हैं। उनका व्यापक लोक संग्रह नया उनके अनुगामियों की विशाल संख्या बताती है कि आज भी समाज में ऐसे बहुत से लोग हैं जो उनका अनुगामी बनने की प्रत्याशा रखते हैं और यह भविष्य के लिए शुभ संकेत है। मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक ऐसे अनेक युवाओं के लिए श्रेष्ठ संदर्भ और प्रेरणा साबित होगी जो राय साहब जैसा बनना चाहते हैं। -डॉ. सच्चिदानंद जोशी
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Rambahadur Rai: Chintan Ke Aayam
192
Rambahadur Rai: Chintan Ke Aayam
192Paperback
$17.99
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Product Details
ISBN-13: | 9789358698602 |
---|---|
Publisher: | Pralek Prakashan |
Publication date: | 07/31/2025 |
Pages: | 192 |
Product dimensions: | 5.50(w) x 8.50(h) x 0.44(d) |
Language: | Hindi |
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