Rupay Ki Samasya: Udbhav Aur Samadhaan (रुपये की समस्या उद्भव और समाधान)
'रुपये की समस्या' पुस्तक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण आर्थिक ग्रंथ है। यह पुस्तक 1923 में प्रकाशित हुई थी, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय, भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन की समस्या से जूझ रही थी ।
मुख्य मुद्दे
पुस्तक में, आम्बेडकर ने भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के कारणों का विश्लेषण किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि मुद्रास्फीति मुख्य रूप से चांदी की कीमतों में गिरावट और अत्यधिक मुद्रा छपाई के कारण हुई थी।
आम्बेडकर ने मुद्रा सुधार के लिए कई उपायों का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने सोने की मानक प्रणाली अपनाने, मुद्रा छपाई को सीमित करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अन्य उपायों की वकालत की। 'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कृति है । यह पुस्तक मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर आम्बेडकर के गहन ज्ञान और विश्लेषणात्मक सोच को दर्शाती है।
हालांकि यह पुस्तक 100 साल से भी अधिक पुरानी है, लेकिन इसमें उठाए गए मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं। मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन आज भी कई देशों में प्रमुख आर्थिक समस्याएं हैं। आम्बेडकर द्वारा प्रस्तावित मुद्रा सुधार के उपाय आज भी नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा नीति में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पढ़ाई है। यह पुस्तक आर्थिक इतिहास, मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
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Rupay Ki Samasya: Udbhav Aur Samadhaan (रुपये की समस्या उद्भव और समाधान)
'रुपये की समस्या' पुस्तक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण आर्थिक ग्रंथ है। यह पुस्तक 1923 में प्रकाशित हुई थी, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय, भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन की समस्या से जूझ रही थी ।
मुख्य मुद्दे
पुस्तक में, आम्बेडकर ने भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के कारणों का विश्लेषण किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि मुद्रास्फीति मुख्य रूप से चांदी की कीमतों में गिरावट और अत्यधिक मुद्रा छपाई के कारण हुई थी।
आम्बेडकर ने मुद्रा सुधार के लिए कई उपायों का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने सोने की मानक प्रणाली अपनाने, मुद्रा छपाई को सीमित करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अन्य उपायों की वकालत की। 'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कृति है । यह पुस्तक मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर आम्बेडकर के गहन ज्ञान और विश्लेषणात्मक सोच को दर्शाती है।
हालांकि यह पुस्तक 100 साल से भी अधिक पुरानी है, लेकिन इसमें उठाए गए मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं। मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन आज भी कई देशों में प्रमुख आर्थिक समस्याएं हैं। आम्बेडकर द्वारा प्रस्तावित मुद्रा सुधार के उपाय आज भी नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा नीति में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पढ़ाई है। यह पुस्तक आर्थिक इतिहास, मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
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by Ambedkar
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by Ambedkar

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Overview

'रुपये की समस्या' पुस्तक डॉ. बी. आर. आम्बेडकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण आर्थिक ग्रंथ है। यह पुस्तक 1923 में प्रकाशित हुई थी, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय, भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन की समस्या से जूझ रही थी ।
मुख्य मुद्दे
पुस्तक में, आम्बेडकर ने भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के कारणों का विश्लेषण किया है। उन्होंने तर्क दिया है कि मुद्रास्फीति मुख्य रूप से चांदी की कीमतों में गिरावट और अत्यधिक मुद्रा छपाई के कारण हुई थी।
आम्बेडकर ने मुद्रा सुधार के लिए कई उपायों का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने सोने की मानक प्रणाली अपनाने, मुद्रा छपाई को सीमित करने और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए अन्य उपायों की वकालत की। 'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय आर्थिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण कृति है । यह पुस्तक मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर आम्बेडकर के गहन ज्ञान और विश्लेषणात्मक सोच को दर्शाती है।
हालांकि यह पुस्तक 100 साल से भी अधिक पुरानी है, लेकिन इसमें उठाए गए मुद्दे आज भी प्रासंगिक हैं। मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन आज भी कई देशों में प्रमुख आर्थिक समस्याएं हैं। आम्बेडकर द्वारा प्रस्तावित मुद्रा सुधार के उपाय आज भी नीति निर्माताओं के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
'रुपये की समस्या' पुस्तक भारतीय अर्थव्यवस्था और मुद्रा नीति में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पढ़ाई है। यह पुस्तक आर्थिक इतिहास, मुद्रास्फीति और मुद्रा सुधार के मुद्दों पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।

Product Details

ISBN-13: 9789363186606
Publisher: Diamond Pocket Books Pvt Ltd
Publication date: 02/24/2025
Pages: 322
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.72(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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