Tum Bin
तुम बिन' श्री रामेश्वर प्रसाद पाठक जी द्वारा रचित कविताओं और शायरियों का संग्रह है, जो उन्होंने अपनी युवावस्था में लिखे थे। इन रचनाओं में उनके अंदर के भावों और अनुभूतियों की झलक मिलती है। यह संग्रह एक आत्मिक यात्रा है, जो प्रेम की कोमलता और वात्सल्य की निस्वार्थता को बेहद सहजता से प्रस्तुत करती है। कुछ कविताओं में समाज के प्रति चिंतन है, तो कुछ में राजनीति पर लेखक की सजग दृष्टि स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। साथ ही प्रकृति के मोहक सौंदर्य और आध्यात्मिक गहराई मन को छू जाती है। देखा जाए तो इस कविता संग्रह में जीवन के विविध रंग समाहित हैं। पुस्तक को जीवंत बनाने के लिए इसमें कुछ सुंदर स्केचेस भी शामिल हैं, जो भावनाओं को एक पूरक व् दृश्यात्मक आकार देते हैं। अंत के कुछ पन्नो में लेखक की कुछ विशेष पुरानी तस्वीरें भी हैं, जो उनके जीवन की अब तक की यात्रा और बहुमुखी प्रतिभा की झलक देती हैं। कुल मिलाकर 'तुम बिन' न केवल कविताओं का संग्रह है, बल्कि यह भावनाओं, विचारों और अनुभवों का एक गुलदस्ता है - एक सहेजा हुआ खजाना जो अब पाठकों के दिलों में अपनी जगह बनाने को तैयार है।
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Tum Bin
तुम बिन' श्री रामेश्वर प्रसाद पाठक जी द्वारा रचित कविताओं और शायरियों का संग्रह है, जो उन्होंने अपनी युवावस्था में लिखे थे। इन रचनाओं में उनके अंदर के भावों और अनुभूतियों की झलक मिलती है। यह संग्रह एक आत्मिक यात्रा है, जो प्रेम की कोमलता और वात्सल्य की निस्वार्थता को बेहद सहजता से प्रस्तुत करती है। कुछ कविताओं में समाज के प्रति चिंतन है, तो कुछ में राजनीति पर लेखक की सजग दृष्टि स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। साथ ही प्रकृति के मोहक सौंदर्य और आध्यात्मिक गहराई मन को छू जाती है। देखा जाए तो इस कविता संग्रह में जीवन के विविध रंग समाहित हैं। पुस्तक को जीवंत बनाने के लिए इसमें कुछ सुंदर स्केचेस भी शामिल हैं, जो भावनाओं को एक पूरक व् दृश्यात्मक आकार देते हैं। अंत के कुछ पन्नो में लेखक की कुछ विशेष पुरानी तस्वीरें भी हैं, जो उनके जीवन की अब तक की यात्रा और बहुमुखी प्रतिभा की झलक देती हैं। कुल मिलाकर 'तुम बिन' न केवल कविताओं का संग्रह है, बल्कि यह भावनाओं, विचारों और अनुभवों का एक गुलदस्ता है - एक सहेजा हुआ खजाना जो अब पाठकों के दिलों में अपनी जगह बनाने को तैयार है।
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by Rameshwar Prasad Pathak
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by Rameshwar Prasad Pathak

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तुम बिन' श्री रामेश्वर प्रसाद पाठक जी द्वारा रचित कविताओं और शायरियों का संग्रह है, जो उन्होंने अपनी युवावस्था में लिखे थे। इन रचनाओं में उनके अंदर के भावों और अनुभूतियों की झलक मिलती है। यह संग्रह एक आत्मिक यात्रा है, जो प्रेम की कोमलता और वात्सल्य की निस्वार्थता को बेहद सहजता से प्रस्तुत करती है। कुछ कविताओं में समाज के प्रति चिंतन है, तो कुछ में राजनीति पर लेखक की सजग दृष्टि स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। साथ ही प्रकृति के मोहक सौंदर्य और आध्यात्मिक गहराई मन को छू जाती है। देखा जाए तो इस कविता संग्रह में जीवन के विविध रंग समाहित हैं। पुस्तक को जीवंत बनाने के लिए इसमें कुछ सुंदर स्केचेस भी शामिल हैं, जो भावनाओं को एक पूरक व् दृश्यात्मक आकार देते हैं। अंत के कुछ पन्नो में लेखक की कुछ विशेष पुरानी तस्वीरें भी हैं, जो उनके जीवन की अब तक की यात्रा और बहुमुखी प्रतिभा की झलक देती हैं। कुल मिलाकर 'तुम बिन' न केवल कविताओं का संग्रह है, बल्कि यह भावनाओं, विचारों और अनुभवों का एक गुलदस्ता है - एक सहेजा हुआ खजाना जो अब पाठकों के दिलों में अपनी जगह बनाने को तैयार है।

Product Details

ISBN-13: 9789391571962
Publisher: Redgrab Books Pvt Ltd
Publication date: 07/22/2025
Pages: 98
Product dimensions: 5.50(w) x 8.50(h) x 0.23(d)
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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