समाज का ताना - बाना, उसकी रीति - नीति, व्यवहार, आचरण, परम्पराएँ, उत्सव आदि पग - पग पर दिशाबोध कराते साथ ही विधि - निषेध आदि का सशक्त अपितु ममतायुक्त आलिंगन आदि से गुंथा हुआ है। उसी के कारण समाज का जागरण, संगठन, संस्कार, लक्ष्य स्मरण, स्व का भान, नवनिर्माण, स्वयं का उदाहरण जैसे आदि श्रेष्ठ परिणामकारी सद्गुण स्वत: फलीभूत हो सम्पूर्ण वसुधा को सद्गम्य का पथ प्रशस्त करता है इसी श्रेष्ठ थाती को काव्यांजलि प्रभात रूपी पुष्प में प्राण प्रतिष्ठित करने का लघु प्रयास है, जो जीवन को सार्थक बनाने का साधन बनकर भवसागर की पतवार बनेगा।
समाज का ताना - बाना, उसकी रीति - नीति, व्यवहार, आचरण, परम्पराएँ, उत्सव आदि पग - पग पर दिशाबोध कराते साथ ही विधि - निषेध आदि का सशक्त अपितु ममतायुक्त आलिंगन आदि से गुंथा हुआ है। उसी के कारण समाज का जागरण, संगठन, संस्कार, लक्ष्य स्मरण, स्व का भान, नवनिर्माण, स्वयं का उदाहरण जैसे आदि श्रेष्ठ परिणामकारी सद्गुण स्वत: फलीभूत हो सम्पूर्ण वसुधा को सद्गम्य का पथ प्रशस्त करता है इसी श्रेष्ठ थाती को काव्यांजलि प्रभात रूपी पुष्प में प्राण प्रतिष्ठित करने का लघु प्रयास है, जो जीवन को सार्थक बनाने का साधन बनकर भवसागर की पतवार बनेगा।
Kavyamjali Prabhata
314Kavyamjali Prabhata
314Product Details
ISBN-13: | 9789353248666 |
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Publisher: | Arts & Science Academic Publishing |
Publication date: | 06/30/2019 |
Sold by: | Barnes & Noble |
Format: | eBook |
Pages: | 314 |
File size: | 515 KB |