nahi hai ko'i thikana (kahani)

छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

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छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

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वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

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छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’

छोटकू बाबू साहेब कब से चटोरी के बाबा केसर से पता नहीं का खुसर - फुसर कर रहे थे कि चटोरी की माई लाजवंती एकदम बेचैन हुए आंगन से ओसारी और ओसारी से आंगन कर रही थी। लगा कि उसके पेट में मरोड़ होने लगी। चापाकल से टूटहिया प्लास्टिक की बाल्टी में पानी भर कर चली गई, घर के पिछूती!
वहां से आने के बाद भी वह हल्की नहीं हुई। माटी से हाथ मांज और हाथ - पैर धो फिर ओसारी में आई।
देखा, अब छोटकू बाबू साहेब खटिया से उठे हैं और हाथ जोड़कर बोले हैं, ‘‘भैया, हमारे घर में चिराग जलाना अब आपके ही हाथ में है। सही फैसला करिएगा। हमारे बाप - भाई के किये अहसान का बदला समझ के चुका देना।’’


Product Details

BN ID: 2940155261421
Publisher: ?????? ??????????
Publication date: 05/17/2018
Sold by: Smashwords
Format: eBook
File size: 383 KB
Language: Hindi

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सम्पादक के पद पर कार्यरत

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