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‘प्रेम योग’ - यह स्वामी विवेकानंद के व्याख्यानों पर आधारित एक पुस्तक है। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनकी बुद्धि बचपन से ही विलक्षण थी। परिवार में धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के कारण इनके मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे हो गए। माता-पिता से मिलें संस्कारों के कारण इन्हें बचपन से ही ईश्वर को जानने और प्राप्त करने की लालसा होने लगी थी। स्वामी रामकृष्ण परमहंस की असीम कृपा से उन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ। 25 वर्ष की उम्र में वह गेरुआ वस्त्र धारण कर विश्व भ्रमण को निकलें। ‘प्रेम योग’ - 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में स्वामी जी ने भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए 20 मिनट का व्याख्यान दिया। जिसका सुन्दर वर्णन इस पुस्तक में है। स्वामी जी ने अपने भाषण से यह सिद्ध कर दिखाया कि हिन्दू धर्म सभी धर्मों को समाहित करने की क्षमता रखता है और यह सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि आज पुरे विश्व भर में है।
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‘प्रेम योग’ - यह स्वामी विवेकानंद के व्याख्यानों पर आधारित एक पुस्तक है। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनकी बुद्धि बचपन से ही विलक्षण थी। परिवार में धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के कारण इनके मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे हो गए। माता-पिता से मिलें संस्कारों के कारण इन्हें बचपन से ही ईश्वर को जानने और प्राप्त करने की लालसा होने लगी थी। स्वामी रामकृष्ण परमहंस की असीम कृपा से उन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ। 25 वर्ष की उम्र में वह गेरुआ वस्त्र धारण कर विश्व भ्रमण को निकलें। ‘प्रेम योग’ - 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में स्वामी जी ने भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए 20 मिनट का व्याख्यान दिया। जिसका सुन्दर वर्णन इस पुस्तक में है। स्वामी जी ने अपने भाषण से यह सिद्ध कर दिखाया कि हिन्दू धर्म सभी धर्मों को समाहित करने की क्षमता रखता है और यह सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि आज पुरे विश्व भर में है।
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Overview

‘प्रेम योग’ - यह स्वामी विवेकानंद के व्याख्यानों पर आधारित एक पुस्तक है। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। इनकी बुद्धि बचपन से ही विलक्षण थी। परिवार में धार्मिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के कारण इनके मन में बचपन से ही धर्म एवं अध्यात्म के संस्कार गहरे हो गए। माता-पिता से मिलें संस्कारों के कारण इन्हें बचपन से ही ईश्वर को जानने और प्राप्त करने की लालसा होने लगी थी। स्वामी रामकृष्ण परमहंस की असीम कृपा से उन्हें आत्म साक्षात्कार हुआ। 25 वर्ष की उम्र में वह गेरुआ वस्त्र धारण कर विश्व भ्रमण को निकलें। ‘प्रेम योग’ - 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में स्वामी जी ने भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए 20 मिनट का व्याख्यान दिया। जिसका सुन्दर वर्णन इस पुस्तक में है। स्वामी जी ने अपने भाषण से यह सिद्ध कर दिखाया कि हिन्दू धर्म सभी धर्मों को समाहित करने की क्षमता रखता है और यह सारगर्भित व्याख्यानों की प्रसिद्धि आज पुरे विश्व भर में है।

Product Details

ISBN-13: 9789355845467
Publisher: True Sign Publishing House
Publication date: 04/20/2023
Sold by: Barnes & Noble
Format: eBook
File size: 389 KB
Language: Hindi
From the B&N Reads Blog

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